For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वजहों के बोझों तले क्यों , बेवजह है ज़िन्दगी |
जीने वालों के लिए , जैसे सज़ा है ज़िन्दगी |

 

साँसों के संग ही चल रही साँसों के संग थम जायेगी ,
आती जाती सांसो का एक सिलसिला है ज़िन्दगी |

 

हमने बनाये जो यहाँ खो जायेंगे वो सब मकाँ 
जिसकी मंजिल मौत है वो रास्ता है ज़िन्दगी |

 

हम जी रहे हैं आज में और सोचते कल की सदा ,
इस जगह को छोड़कर क्यों उस जगह है ज़िन्दगी |

 

ये दिल हमारा है मगर यहाँ ख्याल है किसी और का ,
दूसरों से मिल रही खुद से जुदा है ज़िन्दगी |

 

आदमी अपने ही संग आज जी सकता नही ,
खुद से जाने इस कदर क्यों खफा है ज़िन्दगी ।

हम अँधेरे को समझ बैठे थे अपना आशियाँ ,
तुम मिले तो लग रहा जैसे सुबह है ज़िन्दगी ।

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on May 27, 2013 at 1:32pm

जी ज़रूर आदरणीय अशोक कुमार जी बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 27, 2013 at 8:47am

आदरणीय नीरज मिश्रा जी सादर, बहुत सुन्दर शेर कहे हैं यदि आप गजल के विधानों की जानकारी कर लें तो एक खुबसूरत गजल तैयार होगी. मेरी दिली तमन्ना है आप मंच पर, आदरणीय वीनस जी द्वारा बड़ी मेहनत करके गजल के बाबत इतनी अच्छी जानकारी दी है, उसका लाभ लें. सुन्दर भावों के लिए सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Neeraj Nishchal on May 24, 2013 at 3:30pm

संजू जी आपका  शुक्रिया 

Comment by Neeraj Nishchal on May 24, 2013 at 3:29pm

श्याम नारायण और विजय मिश्र जी सादर आभार 

Comment by Neeraj Nishchal on May 24, 2013 at 3:28pm

गीतिका जी, बृजेश जी,  राजेश जी सादर आभार और और चर्चा में सम्मिलित ना 

हो पाने के कारण क्षमा प्रार्थी हूँ ,,,,,,,,,,,,,
Comment by sanju shabdita on May 23, 2013 at 8:11pm

sundar abhivyakti

Comment by वेदिका on May 23, 2013 at 2:27pm
आदरणीय बृजेश जी की कही हुयी बात कहने आई थी ....उन्होंने कह ही दी है तो आपने सुन ली होगी ...आपके द्वारा शुरू की हुयी चर्चा में आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में ...हम सभी है 
रचना के लिए बधाई 
Comment by विजय मिश्र on May 23, 2013 at 12:17pm
साफ-सुथरा फलसफा ,अच्छा बताया किस तरह लोग खुदी को छोड़ बेखुद में जूझते हैं और यह तो खासमखास है -'जिसकी मंजिल मौत है वो रास्ता है ज़िन्दगी |'
Comment by बृजेश नीरज on May 23, 2013 at 10:08am

आदरणीय नीरज जी पहले आप द्वारा यह तय किया जाना आवश्यक है कि आप निर्धारित नियमों के तहत रचना लिखेंगे या अपने मन के नियमों के तहत जिससे टिप्पणी करना आसान हो सके। आप वहां फूस को चिन्गारी दिखाकर यहां चले आए। चर्चा में भी सम्मिलित नहीं हैं। यह तो गलत बात है। चर्चा में शामिल हों जिससे आपकी रचना पर चर्चा संभव हो सके।

Comment by राजेश 'मृदु' on May 22, 2013 at 2:49pm

ये क्‍या नीरज भाई, उधर कड़वे शब्‍द मुँह से निकलवा लेते हो और इधर वाह-वाह करवाते हैं, ये तो ठीक नहीं है भाई, किसी एक जगह रहने दें या तो अपनी रचना पर वाह-वाह करने दें या हाय-हाय, बड़ी मुश्किल होती है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service