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भोर भई अरु सांझ ढली दिन बीत गया अरु रात गई रे.

बात चली कुछ दूर गयी अरु जीवन हारत मौत भई रे,

मानत हैं नर नार प्रजा सब दामिनी नेह सहोद तई रे,

जीवन देकर ज्ञान दियो परखो नज़रें यह सीख दई रे/

 

सीख दई कछु ज्ञान दियो,पर जीव बचा नहि जान गई रे,

छोरि गरीब कि आह भरी प्रण प्राण लिये उस धाम गई रे,

भूल परे नहि शोक करो पर भूल से हो प्रण भूल नई रे,

और न कोय गरीब मरे अब और दले तन कोय नई रे/  

 

नार फिरे भय मुक्त  समीप न दुष्ट न कष्ट करीब कभी हो,

हो खुशहाल सदा जननी पहिरे तन  साज श्रृंगार सभी हो,

और धरें नर ध्यान मिले सम आदर नार क मान तभी हो,

नार न हाड न मांस शरीर कहो उसको सब मात अभी हो/

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Comment by Ashok Kumar Raktale on January 2, 2013 at 9:18am

आदरेया सीमा जी हार्दिक अभिनन्दन, सच है इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी न जन बदला न मन बदला न शासन तन्त्र ही.बहुत दुखद है. हाँ आपने हनी सिंह का जिक्र किया है उन ने माफ़ी मांगी है फिरभी अब उन पर एक मुकदमा दर्ज हो चूका है.आपकी चिंताएं अन्य समाज जनो की भांति ही वाजिब हैं. छंद सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार.

Comment by seema agrawal on December 31, 2012 at 8:13pm

कितनी बड़ी त्रासदी है इस देश की कानून व्यवस्था ...इसका प्रत्यक्ष प्रमाण उस समय मिला जब दिल्ली की ही एक बस में एक बार फिर (इतने आन्दोलन के बीच )एक बालिका के साथ छेड़खानी हुयी 

आज युवा वर्ग जो इस प्रकरण में समवेत स्वर में नारे लगा रहा है उनसे भी एक प्रश्न है ...जब हनी सिंह जैसे गायकों के शोज देखते हैं और खुशी से झूमते हैं (गाने के शब्द होते हैं :-"आजा चीर दूँ में तेरी पटियाला सलवार " गाने वाला Honey Singh.या मैं बलात्कारी हूँ )तब उनकी यह सोच कहाँ जाती है क्या इस प्रकार के आयोजन इन दुर्घटनाओं की  प्रस्तावना नहीं हैं क्यों देश में ऐसे कानून नहीं जो इस तरह के अश्लील लोगो पर प्रतिबंध लगा सके ,आज इसके विरुद्ध भी आम जन को ही खड़ा होना होगा  ... जिस बॉलीवुड के लोग "दामिनी " के समर्थन में उतरे है क्या वहीं से इस प्रकार के काण्ड की रूपरेखा नहीं तैयार होती .....जिम्मेदार सिर्फ सरकार नहीं समाज के जिम्मेदार तबके भी हैं ....... कड़े कानून तो बनाने ही होंगे पर कहीं न कहीं शील-अश्लील की परिधि को पहचान कर सामाजिक संस्थाओं को भी जिम्मेदारी उठानी होगी 

बहुत सुन्दरता से आपने सामायिक और संस्कारित सोच का निरूपण किया है सवैयों में ...चिंतन और चिंता दोनों का उचित समावेश है हार्दिक बधाई स्वीकार करिए 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:13pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम,आपसे सवैया पर आशीष पाकर अति प्रसन्नता हुई. अवश्य ही हम नव युवाओं में अच्छे संस्कार देखने की ख्वाहिश रखते हैं.सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 31, 2012 at 2:21pm

नार फिरे भय मुक्त समीप न दुष्ट न कष्ट करीब कभी हो,
हो खुशहाल सदा जननी पहिरे तन साज श्रृंगार सभी हो,
और धरें नर ध्यान मिले सम आदर नार क मान तभी हो,
नार न हाड न मांस शरीर कहो उसको सब मात अभी हो/

आदरणीय अशोक जी, इस उन्नत और सांस्कारी सोच के लिए आपका हार्दिक आभार. आपके कहे को देश के पुत्र साकार करें. एक अत्यंत सुन्दर मत्तगयंद सवैया के लिए आपको विशेष बधाई.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:44am

अरुण जी भाई और जवाहर जी भाई आप दोनों का हार्दिक अभिवादन.नव वर्ष में भी साथियों का सहयोग इसी तरह मिलता रहे. आप दोनों को ही सपरिवार नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 31, 2012 at 7:04am

आदरणीय अशोक भाई जी, सादर अभिवादन!

नार फिरे भय मुक्त  समीप न दुष्ट न कष्ट करीब कभी हो,

हो खुशहाल सदा जननी पहिरे तन  साज श्रृंगार सभी हो,

और धरें नर ध्यान मिले सम आदर नार क मान तभी हो,

नार न हाड न मांस शरीर कहो उसको सब मात अभी हो/

आपको नमन!

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 30, 2012 at 11:35am

सर सर्वप्रथम आपको प्रणाम आपकी सोंच को नमन आपने वर्तमान परिस्थिति का इतना सुन्दर चित्रण किया है कि बस मैं झूम उठा हूँ, सर अगर यह बातें अगर हम सोंच भी लें तो जीवन सुखमय हो जायेगा, इस तरह की दिल दहलाने वाली घटनाओं से मुक्ति मिल जायेगी. आपकी लेखनी विचारों को बदलने के लिए विवश करे यही कामना करता हूँ. हार्दिक बधाई नव वर्ष की बंध-बांधुओं सहित ढेरों शुभकामनाएं.

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