For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


अमृत ही बरसाय
 (संशोधित दोहे)

 
खबरे पढ़ पढ़ जग मुआ, ज्ञानी भया न कोय,
छंदों में जब मन लगे,तब मन निर्मल होय //   
 
बालक को धन्धे लगा, अमीर बना न कोय 
बालक जो पढने लगे,  अकूत  सम्पदा होय // 
 
शीश नवा झुकजा सदा, कछु न बिगड़े जाय,
प्रेम भाव  जाग्रत हो,  श्रद्धा भाव भर जाय //
 
श्रद्धा भाव जाग्रत करे,  गुरु ज्ञान मिल जाय,
गुरुज्ञान जो मिल गया, सब कुछ ही मिलजाय //
 
छोटो का भी मान कर, मिल सकती है सीख,
वय का मोल न ज्ञान में, सरसवती की रीत //
 
छंद काव्य में गुण बड़े, पढ़े जो पंडित होय,
भाव से मन-भाव भरे, अमल करे गर कोय // 
 

गुरु ज्ञान बाँटन लगे, ले सके वही लेत,

भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत //
 
अमल करे तबही बढे, गुरु उसी के साथ, 
करम करे भाग्य बढे, भाग्य उसके साथ //   
 

जैसे सूखा कुसुम भी ,खुशबू  ही बिखराय   

साधू अपने ज्ञान से,  अमृत ही बरसाय //

 

 - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 11:45am
धन्यवाद भाई श्री योगी सारस्वत जी, जहां तक शब्द भाव को दिल में उतारने की बात है  तो 
 
गुरु ज्ञान बाँटन लगे, ले सके वही लेत
भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत
 
अमल करे तबही बढे, गुरु  उसी के साथ, 
करम करे भाग्य बढे, भाग्य उसी के साथ   
 
Comment by Yogi Saraswat on September 13, 2012 at 11:09am
श्रद्धा भाव जाग्रत करे,  गुरु ज्ञान मिल जाय,
गुरु ज्ञान मिल गया तो,जीवन फल मिल जाय //
श्री लक्ष्मण प्रसाद जी , शब्द बहुत अच्छे हैं किन्तु कोई इन शब्दों के भाव को अपने दिल में उतारे , तब न कोई बात बने ?
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 11:04am

हार्दिक बधाई आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी | गुरुजनों से प्राप्त संजीवनी  अवश्य ही ग्रहण करूँगा, हार्दिक धन्यवाद 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 13, 2012 at 10:32am

आदरणीय अग्रज लक्ष्मण सर जी सादर प्रणाम
इस सुन्दर भाव पूर्ण दोहों के लिए बधाई स्वीकार कीजिये
और गुरुजनों की दिव्य संजीवनी का लाभ उठाइए
सादर आभार आपका

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 10:30am
आदरणीया डॉ.प्राची सिंह जी, दोहों के भांवों को सराहने और उचित सलाह देने हेतु 
आपका हार्दिक आभार | आपकी शुभ कामनाओं हेतु हार्दिक धन्यवाद |
Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 13, 2012 at 10:25am
धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण जी, सादर  
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 10:23am
गुरुजन के रूप में उत्साह बढाने और सतत प्रयास हेतु प्रेरित करने के लिए 
आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 10:20am
आदरणीया सीमा अग्रवाल जी, आपकी सलाह बहुत ही उचित है, अवश्य ही अब 
लिखने और बार बार गुनने की आदत अमल में लाने का प्रयास करूँगा | दोहों 
के कथ्य को सराहने और उचित सलाह देने हेतु आपका हार्दिक आभार |
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 10:13am
आदरणीय अम्बरीश श्रीवास्तव जी आपकी सलाह को निर्देश मान गौर करूँगा 
हार्दिक आभार स्वीकारे 
Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 10:13am

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
3 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service