For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खूबसूरत [लघु कथा]

शन्नो की सगी बहन मन्नु लेकिन शक्ल सूरत में जमीन आसमान का अंतर , अपने माता पिता की लाडली शन्नो इतनी सुंदर  थी मानो आसमान से कोई परी जमीन पर उतर आई हो ,बेचारी मन्नु  को अपने साधारण रंग रूप के कारण सदा अपने माता पिता की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता था |शन्नो अपने माँ बाप के लाड और अपनी खूबसूरती के आगे किसी को कुछ समझती ही नही थी |एक दिन दुर्भाग्यवश उनकी माँ  बहुत बीमार पड़ गई ,सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी ,मन्नु ने अपनी माँ की सेवा के साथ साथ घर का बोझ भी अपने कंधों पर ले लिया ,उसकी नकचढ़ी बहन किसी भी काम में उसका हाथ नही बंटाती थी |धीरे धीरे मन्नु की मेहनत रंग ले आई और उसकी माँ के स्वास्थ्य में सुधार होना शुरू हो गया,अपनी बेटी को  इतना काम करते देख उसके माँ बाप की आँखों में आंसू आ गये ,उन्होंने उसे गले लगा लिया ,वह जान चुके थे असली खूबसूरती तो मन की होती है |

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on August 5, 2012 at 12:25pm

आदरणीय अशोक जी ,प्रोत्साहन के  लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2012 at 10:58pm

रेखा जी

        सादर, सच है मन कि खूबसूरती ही स्थायी है. सुन्दर लघु कथा. बधाई.

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 8:46pm

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2012 at 1:55pm

वाह !

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 1:37pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी ,प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 3, 2012 at 11:51pm

आदरणीया रेखा जी  ..बहुत प्यारे भाव लिए सुन्दर सन्देश देती ये लघु कथा ..सच में बाह्य दिखावा रंग रूप किस काम का जब कोई किसी के काम न आ सके अंतर स्वच्छ तो होना ही चाहिए .....

भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 5:35pm

अरुण बेटा ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 1, 2012 at 12:06pm

बहुत ही सुन्दर लघु कथा रेखा माँ, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये........

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 11:59am

आपकी बधाई स्वीकार की ,आदरणीया डा प्राची जी ,आभार 

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 11:57am

आपका बहुत  बहुत धन्यवाद ,अलबेला जी ,आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service