For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,

चीखे अबला द्रोपदी, कौन बचाए  लाज//
 
महंगाई से तरस रहे, भुखमरी की मार 
भ्रूण हत्या कैसे रुके, पंगु हुई सरकार //
 
दोस्तों से गुठ रही, घर में रहे मन मार
भाई बंधू ही देता, संकट में रक्त यार //
 
भ्रष्टाचारी लोग जो, इनका चलता राज 
इमानदार व्यथित है, देख कोढ़ में खाज //
 
लूट सको तो लूट लो, सबसे बढ़िया धंधा 
महंगाई की मार भी, क्या करेंगी पंगा //
 
देख आजादी देश की,सब हुए खुशहाल
खुशहाल सब नेता हुए, जनता है बेहाल  
 
चिंतन युक्त जीवन रहे, रहो चिंतासे मुक्त
अपना ये जीवन रहे , बुरे साथ से मुक्त //  
 

Views: 502

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 28, 2012 at 7:22pm

आदरणीय प्रणाम,

                     मै आपके लिखे पर कुछ बोल सकूँ इतनी क्षमता नहीं है मुझमे.मै तो बस भाई के सम्मुख दोस्ती को भी उतना ही सम्मान दिलाना चाहता हूँ. दो पंक्तियाँ लिखी हैं आशीष दें.

  मात पिता गुरु ज्ञान का, सदा करो सम्मान.

  भ्रात सखा गुर भाई को, सदा स्होदर जान,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 27, 2012 at 7:13pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, दीप्ती शर्मा जी और संदीप कुमार पटेल जी हार्दिक आभार आप सभी का

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 27, 2012 at 7:11pm

भाई श्री अशोक कुमार रकताले जी,आपसे मार्ग दर्शन/सुझाव अपेक्षित है,कृपया अवगत करावे   

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 27, 2012 at 7:07pm

आदरणीय अलबेला खत्री जी,आशीष यादव जी और अविनाश बागडे जी 

रचना पसंद कर होंसला अफजाई के लिए आपका भी वंदन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 27, 2012 at 7:02pm

 

 

सिखाते रहे दोहे,गुरुवर की भांति

दोहे हम सीख सके, शिष्य की भांति  

 बहुत बहुत आभार, भाई श्री अम्बरीश, 

गुरुवार तुम्हे प्रणाम, दो हमको आशीष //

 

Comment by AVINASH S BAGDE on July 27, 2012 at 4:54pm

बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,

चीखे अबला द्रोपदी, कौन बचाए  लाज//

महंगाई से तरस रहे, भुखमरी की मार 

भ्रूण हत्या कैसे रुके, पंगु हुई सरकार //sashakt bhaw.Ladiwal ji.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2012 at 10:48am

आज कि सच्चाई बयान की है  आपने रचना में अति सुन्दर बधाई आपको 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 9:52am

सुन्दर प्रयास के साथ अच्छे भाव समेटे हैं आपने ......................बाकी अम्बरीश सर की बात पे ध्यान अवश्य दीजिये ताकि इसमें चार चाँद लगाये जा सकें
इस भावात्मक रचना के लिए आपको साधुवाद

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 9:48am

भाई लक्ष्मण प्रसाद जी ,

//देख आजादी देश की,सब हुए खुशहाल
खुशहाल सब नेता हुए, जनता है बेहाल //
 
सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें ! भाईजी!  उपरोक्त को देखकर ऐसा लग रहा है कि संभवतः आपने दोहे रचने का प्रयास किया है ....
दोहे समझने की दृष्टि से उदाहरण के लिए आप इसे निम्नानुसार ऐसे भी रच रकते हैं
आजादी को देख के, सभी हुए खुशहाल.
नेता ही खुशहाल हैं, जनता सब बेहाल ..
दोहे के बारे में अधिक जानकारी हेतु ओ बी ओ के भारतीय छंद विधान के निम्नलिखित लिंक्स पर भ्रमण करें !
 
 
 
 भाई अशोक कुमार जी से मैं भी सहमत हूँ ....
Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:33pm
भ्रष्टाचारी लोग जो, इनका चलता राज 
इमानदार व्यथित है, देख कोढ़ में खाज //

सच्चाई बयां करती बहुत सुंदर रचना ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service