For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

. पिंकी के बारे में उसको यह पता चला था कि वह बहुत बीमार रही और काफ़ी समय तक अस्पताल में रही। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था परंतु जब पिंकी को स्कूल में देखा तो वह चहक उठी। वह पिंकी से लिपट गयी और कुछ पूछने को थी कि पिंकी ने जमकर उसका हाथ पकड़ लिया। पूरे दिन दोनों में से कोई न बोला। स्कूल खत्म होने पर दोनों एक साथ हाथ पकड़ कर बाहर निकले तब पिंकी के पापा-मम्मी को उनकी कार में खड़े पाया। चुप्पी तोड़ते हुए पिंकी ने धीरे से कहा, "घर चलोगी?" तान्या ने पिंकी की मम्मी से उनका मोबाइल माँगा और कॉल लगाया। इस बीच पिंकी ने अब भी उसका हाथ पकड़ रखा था। "अब तो चलोगी न?" तान्या उनके साथ उनके घर चली गयी। वहाँ पिंकी की मम्मी ने कहा, "तुम दोनों पिंकी वाले कमरे में बैठो। मैं तुम दोनों का नाश्ता लेकर आती हूँ।" तान्या कुछ पूछती उसके पहले पिंकी ने कहना शुरू किया, "तू मेरी दादी को तो जानती हो? मेरे कोई भाई नहीं हुआ करके वह कितनी परेशान रहती हैं और हर समय मम्मी को कोसती रहती हैं।" कहते हुए उसकी आँखों से अश्रु बहने लगे। उसने एक लंबी साँस ली और पुनः अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "वह इस बीच किसी साधुबाबा से मिलने लगी थी। साधुबाबा ने उनको यह विश्वास दिला दिया था कि मेरा कोई ग्रह मम्मी के आगे आ रहा है जिस कारण...।" "ग्रह, कैसा ग्रह,? यह सब...," "साधुबाबा ने दादी से कहा कि वह मम्मी के साथ मुझको उनके आश्रम में भेजें। और वह ऐसा उपाय करेंगे कि....।" "....कि क्या पिंकी?" "पापा-मम्मी के लाख समझाने पर भी उन्होंने किसी की नहीं सुनी और हम दोनों को वहाँ उनके आश्रम भेज दिया।" "..." "वहाँ हम जैसे ही पहुँचे हमने देखा कि उनका बहुत विशाल और शानदार आश्रम था। बहुत सारे लोग उनसे मिलने आये थे। और सब एक बड़े से कमरे में बैठकर उनका इंतजार कर रहे थे।" "फिर..." इतने में पिंकी की मम्मी उन दोनो के लिए नाश्ता लेकर आयी, उन्होंने टेबल पर रखा और कमरे से बाहर चली गयी। पिंकी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "अचानक वहाँ कुछ महिलाओं का शोर सुनाई दिया, आश्रम में भगदड़ मच गई। तब पता चला कि वह बाबा और उनके कुछ साथी औरतों को प्रसाद में कुछ मिलाकर ...और उनके बेहोश हो जाने पर उनपर...। उस दिन किसी ने पुलिस को भी बुला लिया था।" "है भगवान! तुमको और आँटी को कुछ हुआ तो नहीं?" "नहीं, पर वो सब देखकर मैं वहीं बेहोश हो गयी थी। उसके बाद जब होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया।" "ओह! डॉक्टर ने क्या कहा ?" "उस हादसे के बाद डॉक्टर ने मुझको कुछ दिन अस्पताल में ही रहने की सलाह दी । मेरा हीमोग्लोबिन भी काफी कम हो गया था और मानसिक तौर पर भी...।" "दादी कहाँ हैं?" "दादी गाँव चली गयीं।" "जो हो गया उसको एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ। और अब हम दोनों अपनी पढ़ाई पर ध्यान देंगे।" मौलिक, अप्रकाशित एवं अप्रसारित

Views: 207

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 1, 2023 at 3:27pm

आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2023 at 12:33pm
वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति आदरणीया जी । लघु कथा की लम्बाई कुछ अधिक लगी । सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
21 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा को मान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय, मिथिलेश जी। "
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service