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मैं पुलिस हूँ (पुलिस गीत) : आशीष यादव

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, मित्र हूँ 

मैं आपका ही प्यार हूँ 

आपकी खातिर खड़ा हूँ

आपका अधिकार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

शपथ सेवा की उठाया हूँ करूँगा आमरण 

धीर साहस के लिए मैंने किया वर्दी-वरण 

जुल्म-अत्याचार से चाहे प्रकृति की मार से

रात-दिन रक्षा करूँगा आपका बन आवरण 

मैं अहर्निश कमर कसकर 

वेदना में भी विहँसकर 

कर्म को तैयार हूँ

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, 

आपकी होली दीवाली आपके रमज़ान में 

आपके झाँकी-जुलुस में आपके अभिमान में 

धूप हो बरसात हो चाहे कि झंझावात हो 

शान से रहता सड़क पर देश के सम्मान में 

क्या मेरी होली-दीवाली 

कौन रातें ईद वाली 

मैं स्वयं त्यौहार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, 

देश के सीने पे जब दुश्मन चलाया गोलियाँ 

या महामारी ने ही विकरालता धारण किया 

त्रासदी की जंग में, खाकी नए ही ढंग में 

जान की बाजी लगा दी हौसला पैदा किया 

कौन सी गोली-कटारी 

कौन मारेगी बीमारी 

मैं स्वयं हथियार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, मित्र हूँ 

मैं आपका ही प्यार हूँ 

आपकी खातिर खड़ा हूँ

आपका अधिकार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आशीष यादव

आशीष यादव

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Comment

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Comment by आशीष यादव on January 24, 2022 at 11:22pm

आदरणीय श्री अमीरुद्दीन अमीर सर प्रणाम। 

आपकी सराहना से मन प्रसन्न हुआ। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by आशीष यादव on January 24, 2022 at 11:21pm

आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी मुसाफिर सर प्रणाम।

सर गीत तक पहुंचने और उस पर सकारात्मक टिप्पणी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 5:04pm

जनाब आशीष यादव जी आदाब, अच्छी रचना हुई है बधाई स्वीकार करें। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 11, 2022 at 2:08pm

आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। एक अच्छी सकारात्मक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

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