For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज आंखें नम हुईंं तो क्या हुआ
रो न पाए हम कभी अर्सा हुआ

आपबीती क्या सुनाऊंगा उसे
आज भी तो है गला बैठा हुआ

ढूंढता हूँ इक सितारे को यहाँ
दूर तक है आसमां फैला हुआ

क्यों  क़रीने से रखें सामान को
घर को रहने दीजिये बिखरा हुआ

नींद  पलकों  पर  कहीं ठहरी हुई
ख़्वाब आंखों में वहीं सहमा हुआ

जी  रहा  हूँ  बस  इसी उम्मीद से
लौट  आएगा  समय  बीता हुआ

हादसे  ऐसे   भी  तो   होते   रहे
जो  नहीं  बोया   वही पैदा हुआ

2122 2122 212

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 342

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on April 6, 2020 at 8:13pm
सर जी,
बहुत शुक्रिया, नवाज़िशें.
Comment by Samar kabeer on April 6, 2020 at 7:31pm

'नींद पलकों पर कहीं ठहरी हुई'

ये मिसरा ठीक है ।

//एक बार पोस्ट करने के बाद करेक्शन कैसे करूँ?//

ग़ज़ल के साथ एडिट करने का ऑप्शन है,जब आप एडिट कर देंगे तो फिर से अप्रूवल के लिए जाएगी,कुछ देर में अप्रूव हो जाएगी ।

Comment by सालिक गणवीर on April 6, 2020 at 7:03pm
आदरणीय कबीर साहब
आदाब
बहुत शुक्रिया आपका,जो समय निकालकर ज़रूरी सुझाव दिए.अमल भी कर लिया. नींद वाला मिसरा भी बदल कर लिखा है....
नींद पलकों पर कहीं ठहरी हुई
2122 2122 212
एक बार पोस्ट करने के बाद करेक्शन कैसे करूँ? कुछ सूझ नहीं रहा है. कृपया मार्ग दर्शन करें.
सदैव आभार सहित
सालिक गणवीर
Comment by Samar kabeer on April 6, 2020 at 5:10pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'आज आंखें नम हुई तो क्या हुआ'

इस मिसरे में 'हुई' को "हुईं" कर लें ।

दूर तक है आसमां फैला हुआ

'क्यों करीने से रखें सामान को'

इस मिसरे में 'करीने' को "क़रीने" कर लें ।

'नींद सिरहाने पर है ठहरी हुई'

इस मिसरे में 'सिरहाने' का वज़्न आपने 222 लेकर अंतिम गुरु को लघु लिया है,जबकि 'सिरहाने' को लिखा ऐसे जाता है पर इसका वज़्न "सिराने'122 लिया जाता है,इसे बदलने का प्रयास करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service