For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या टूट चुका दिल है जो वो दिल न रहेगा ?(७१)

(221 1221 1221 122 )
क्या टूट चुका दिल है जो वो दिल न रहेगा ?
जज़्बात बयाँ करने के क़ाबिल न रहेगा ?
**
तालीम अगर देना कोई छोड़ दे जो शख़्स
क्या आप की नज़रों में वो फ़ाज़िल* न रहेगा ?(*विद्वान )
**
फ़रज़न्द के बारे में भला कौन ये सोचे
दुख-दर्द में इक रोज़ वो शामिल न रहेगा
**
दो चार अगर झूठ पकड़ लें तो न सोचें
जो खू से है मजबूर वो बातिल* न रहेगा (*झूठा )
**
आया है सज़ा काट के जो क़त्ल की उसके
धुल जाएँगे क्या पाप वो क़ातिल न रहेगा ?
**
तोहफ़े हैं फ़िराक़-ओ-शब-ए-तन्हाई*, ग़म-ए-दिल (*विरह और तन्हाई की रात )
मत सोचिये कुछ इश्क़ में हासिल न रहेगा
**
उसको तो सतायेंगे ही आफ़ात के तूफ़ां
आफ़ात के जो शख़्स मुकाबिल न रहेगा
**
क्या आएगा वो दिन कभी जब मेरे वतन में
हर गाँव गली में कोई बेदिल* न रहेगा (*उदास )
**
हर एक 'तुरंत ' आज पढ़ाये जो किसी को
तो कल को यक़ीनन कोई ज़ाहिल* न रहेगा (*अनपढ़ /गंवार )
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 29, 2020 at 10:28pm

भाई Salik Ganvir  जी आदाब और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by सालिक गणवीर on March 29, 2020 at 6:31pm
आदरणीय गहलोत जी
उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ.
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 20, 2020 at 6:14pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी , आपकी हौसला आफजाई के लिए सादर आभार 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2020 at 4:22pm

आ. भाई गिरधारीलाल जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 20, 2020 at 3:44pm

आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra जी , 

आपकी आनंदित करने वाली सराहना से मन तृप्त हुआ | सृजन सार्थक हुआ |सादर आभार  एवम नमन |

 समर सर ने जो बात बताई है इसे शुतुरुगुरबा ऐब कहते हैं | जब दो समान अर्थ के शब्द एक ही पंक्ति में हो तो यह ऐब होता है | जैसे अगर और जो दोनों समान अर्थी हैं इन्हे दोहराना गलत हुआ | दोनों में से एक ही प्रयोग होगा | यही ऐब ,मत और न एक पंक्ति में प्रयोग करने पर होगा | इससे बचना चाहिए | 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 20, 2020 at 3:32pm

आदरणीय गिरिधारी सिंह गहलोत जी ।बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुयी है। या ग़ज़ल में उर्दू के शब्दों के अर्थ साथ में होने से समझना मेरे लिए आसान रहा।हार्दिक बधाई आपको। आदरणीय समर सर ने अगर और जो के साथ होने पर जो प्रतिक्रिया की है। उस बारीकी को समझना चाहता हूँ कृपया मार्गदर्शन करें।सादर

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 20, 2020 at 9:03am

आदरणीय Samar kabeer साहेब , आदाब , आपकी हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया , आपका सुझाव सही है , यह भूल हो गई है | 

Comment by Samar kabeer on March 19, 2020 at 5:52pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'तालीम अगर देना कोई छोड़ दे जो शख़्स'

इस मिसरे में 'अगर' और ' जो' का इस्तेमाल उचित नहीं,मिसरा बदलने का प्रयास करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service