For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA's Blog – December 2012 Archive (6)

मूँछ

 मूँछ 

-------- 

मूँछ की भी अजब कहानी 

खिले आनन् दिखे  जवानी

कद लम्बा और चौड़ा सीना 

पहने उस पर कुरता झीना 

चलता  राह रोबीली चाल 

काला टीका औ उन्नत भाल 

कभी तलवार कभी मक्खी कट 

छोटी बड़ी कभी सफा चट

बगैर मूँछ  लगता  चेहरा   खुश्क …

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 12:19pm — 6 Comments

पुकार

पुकार 

---------

साहित्य के सिपाहसालारों
धार लेखनी क्यों पडी मंद 
हाहाकार मचा चहुँ ओर 
समर भूमि में…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 23, 2012 at 12:52pm — 17 Comments

बलात

बलात 

-------



चप्पे चप्पे पर है दुशासन 

फिर मौन भला क्यों प्रशासन 

आपस में आलिंगन बद्ध 

करे किस का इन्तजार 

बलात्कार बलात्कार बलात्कार


था जिन पे हमें नाज 

आसमान लाल क्यों आज 

उड़ रहे अनगिनत बाज 

पंछी ले कैसे परवाज 

बताओ हमें इन्तजार 

बलात्कार बलात्कार बलात्कार


नन्ही कोमल सी कली 
नाज लाड़ पली बढ़ी 

नाग ने डस लिया

फंद में जकड़ लिया 

सुनाई पडी न…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 22, 2012 at 4:00pm — 14 Comments

कृषक

कृषक  

---------

कृषि प्रधान भारत अपना फसलों की बहार है 

भूख कुपोषण जन है मरते कैसा पालन हार है 

खेत से खलिहान तक फैली  जिसकी सरकार है

उसका तो बस नाम मात्र  ईश्वर पालन हार है  

काट रहा निश दिन अपने स्वेदाम्बू लिए माथ है 

हाथ न आये लाभ उसे कछु भूख मात्र साथ है 

काढ़े कर्ज उत्पादन करते सेठ भरे तिजोरी है 

बच्चे उसके भूखे  मरते शासन की कमजोरी…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 20, 2012 at 3:47pm — 13 Comments

आग

आग 
------

आरक्षण की नेता तुमने

ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई 
प्यारा कितना  देश था भारत 
सारा  जग करता था आरत 
सत्ता की खातिर  देश को बांटा 
जो मिला उसे एक दूजे ने काटा 
भाइयों में खूब जंग करायी 
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 14, 2012 at 2:39pm — 8 Comments

पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता

पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता 

------------------------------
हे नाती बाबू एहर सुना देखा अंतरजाल आश्रम पर काफी भीड़ इकट्ठी होएला. का  माजरा  बा ?
सुना नाना जी कौनो चिंता न किये . ई सब चारों स्तंभ के लोग इकठ्ठा कियेला . आज तोहरा प्रेस वार्ता का आयोजन बा .
देखा नाती हमका चरका न देवा . २ महीना हो गईला हमरे अवतार का रोजे रोज दांव होएला. कौनो हमरे पास न आवेला. न जाने सब कहाँ बिजी बा . बड़ा मनेजमेंट गुरु बनेला. इतना मा तो हम पूरे  देश की सरकार…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 2, 2012 at 5:58pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service