For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आग 
------

आरक्षण की नेता तुमने

ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई 
प्यारा कितना  देश था भारत 
सारा  जग करता था आरत 
सत्ता की खातिर  देश को बांटा 
जो मिला उसे एक दूजे ने काटा 
भाइयों में खूब जंग करायी 
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई 
हिन्दू बांटे मुस्लिम बाटें
पग पग पर  बोये कांटे 
बहा लहू धरती पे जिनका 
दोष बता क्या था उनका 
तूने मेहँदी उससे रचायी 
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई 
मंदिर बांटा मस्जिद बांटा 
जाति धर्म में देश को काटा
गुरुद्वारा भी बच न पाया 
पड़ा वहां आतंक का साया 
भयभीत हुए ईसाई भाई 
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई 
वोट मांगने जब थे आये 
लगते थे दूधों नहाये 
शालीनता का किये वरन 
पकडे तुमने जनता के चरन
कुर्सी संग करी सगाई
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
वादा एक पूरा किया न तूने 
महंगाई ग्राफ लगा आसमां छूने
गृह उद्द्योग  पनप न पाए  
घने हो गए उनपे साये
ऊपर से ले आये एफ डी आई 
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
 प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
१४-१२-२०१२ 
 

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:29pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर 

प्रोत्साहन हेतु आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:28pm

आदरणीय सिंह साहब जी, सादर सही हि कहा आपने. 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:27pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी, 

सादर अभिवादन. 

सच ही  कहा आपने. मैं भी डरते डरते पोस्ट करता  हूँ. ३-४ दिन डर ज्यादा रहता है. वैसे ये बात मैं अपनी पिछली पोस्ट.. जमाना में कह चुका हूँ. आपकी नजर चाहिये उस पर. सादर आभार .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:23pm

आदरणीय खरे साहब जी, 

सादर 

मुरीद तो हम हुए आपके. 

स्नेह हेतु आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 2:20pm

आदरणीय प्रदीप जी इस प्रशासन के प्रति कड़वापन खूब झलक रहा है रचना में क्या करें जनता कब तक झेले बहुत अच्छी सामयिक रचना हेतु बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 15, 2012 at 7:32am

इन नेताओं का तो यही है चलन! फूट डालो और राज करो!

आदरणीय कुशवाहा जी, हम सबको सावधान रहने की जरूरत है!और सही नेता का चुनाव करना है ! साभार! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2012 at 7:47pm
वोट मांगने जब थे आये 
लगते थे दूधों नहाये 
शालीनता का किये वरन 
पकडे तुमने जनता के चरन
वाह, सुन्दर !
ऐसी रचनाएँ नेट पर अपलोड करते आजकल हमें तो डर लगता है, आदरणीय ! .. :-)))
Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 4:21pm

Adarniya pradeep ji aapki soch ki jitni bhi tareefd kijaye kam he aapke mureed hum he kya likha he on reservation congratulation

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service