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Shashi Mehra's Blog – February 2013 Archive (3)

प्यार होना चाहिए ...

दिलनशीं और पुरमहक, किरदार होना चाहिए |

प्यार है दिल में अगर, तो प्यार होना चहिये ||

अहद कर लो, ना बुराई हम करेंगे, उम्र भर |

चाहो गिर्द अपने अगर, गुलज़ार होना चाहिए ||

छोड़ के खुदगार्जियाँ, खल्क-ए-खुदा की सोचिये |

मुफलिस-ओ-लाचार का, गमख्वार होना चाहिए ||

राह की दुश्वारियाँ, सब दूर करने के लिए |

हमसफ़र, हमराह, रब्ब सा, यार होना चाहिए ||

जानते हो मायने, गर लफ्ज़े-उल्फत के ‘शशि’ |

तब मोहम्मद मुस्तफ़ा से, प्यार…

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Added by Shashi Mehra on February 25, 2013 at 2:00pm — 7 Comments

दुआ

जिसके हक़ में, मैं सदा, दिल से दुआ करता रहा |

वो हमेशा, मुझपे जाने, क्यूँ शुबहा करता रहा ||

दोस्त था कहने को मेरा, दोस्ती न कर सका |

दोस्ती के नाम पर ही वो, दगा करता रहा ||

हमकदम था चल रहा, पर हमनफस न बन सका |

मैं भला करता रहा, और वो बुरा करता रहा…

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Added by Shashi Mehra on February 25, 2013 at 2:00pm — 8 Comments

शोर

जिसने खुद को ही, ज़माने से छुपा रखा है |

जाने किस शख्स ने नाम उसका, खुदा रखा है ||

सब बहाने से उसे, याद किया करते हैं |

दिल में दुनियाँ के, अजाब खौफ बिठा रखा है ||

हाथ तकदीर बनाने के ही, काम आते हैं |

क्या हथेली की लकीरों में, भला रखा है ||…

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Added by Shashi Mehra on February 23, 2013 at 2:02pm — 7 Comments

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