For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU''s Blog (19)

जागे हिंदुस्तान/ गीत

जीवन डगर बहुत पथरीली

संभलो मनुज सुजान,

जागे हिंदुस्तान हमारा जागे हिंदुस्तान।



हिन्दू मुस्लिम भाई भाई प्रेम का धागा टूट गया।

न जाने कितनी माँगो का फिर से ईंगुर रूठ गया।

मानवता जब दानवता की चरण पादुका धोती है,

तभी मालदा वाली घटना तभी पूर्णिया रोती है।



धर्म के पहरेदारों बोलो,

कब लोगे संज्ञान।।

जागे--------



संस्कार की नींव हिल गयी बिका हुस्न बाजरों में।

कर्णधार जो बनकर आये लिप्त हुए व्यभिचारों में।

जाति पांति के भेदभाव…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on October 10, 2017 at 9:30pm — 8 Comments

मेरे गीतों में मीरा दीवानी सही

ओ.बी.ओ. के पावन मंच और गुरुजनों को सादर प्रणाम करता हूँ. समयाभाव के चलते  नियमित रूप से मंच से जुड नही पा रहा हूँ इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ  और आप सबके बीच कुछ मुक्तक निवेदित कर रहा हूँ. कृपया मार्गदर्शन करें .सादर

क्यूँ कभी प्रेम की ये निशानी लगे.

अश्रुपूरित कभी  ये जवानी  लगे.

ओस बन खो गये हैं हवा में कहीं,

बूँद पानी  की ये  जिंदगानी  लगे.

प्रेम  की  बागवानी  पुरानी  सही.

कृष्ण-राधा की प्यारी कहानी सही.

तुम लिखो फूल…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 5, 2013 at 1:30pm — 12 Comments

राजी कैसे मन को कर लूं मैं गणतंत्र मनाने को?

आओ मिल गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रगान का गान करें,

संकल्पित सपनों की आओ फिर से नयी उड़ान भरें.

नये जोश से ओत प्रोत हो हम गणतंत्र मनाते हैं,

लोकतंत्र में हो स्वतंत्र हम राष्ट्र गीत को गाते हैं..

किन्तु चाहता प्रश्न पूंछना लोकतंत्र रखवारों से,

सार्थकता क्या बची रहेगी इन ओजस्वी नारों से.

क्या तुमको भूंखे बच्चों की चीख सुनाई देती है,

क्या तुमको कोई अबला की पीर दिखाई देती है.

क्या तुमने बेबस माँओं की गोद उजड़ते देखा है.

कितनी मांगों…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 26, 2013 at 2:30pm — 2 Comments

आक्रोश

घटना ऐसी घटित हो गयी सुनकर भारत रोया है,

वीर सपूतो को फिर से इस मात्रभूमि ने खोया है.

छल कर गया पड़ोसी उसने अपनी जात दिखा डाली,

सोते सिंहो पर हमला अपनी औकात दिखा डाली.

खून हमारा उबल उठा है पाक तेरी नादानी से,

दिल्ली कैसे सहन कर गयी सोंचू मै हैरानी से.

आज हमारी सहनशक्ति का बाँध तोड़ डाला तूने,

सोये सिंह जगाकर अपना भाग्य फोड़ डाला तूने.

अरे भेंड़िये कायरपन पर बार-बार धिक्कार तुझे,

हिन्दुस्तानी बच्चा-बच्चा देता है ललकार तुझे.

कूटनीति अपनाने वाले…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 9:30am — 12 Comments

दीवाने कहाँ जायें

अफ़सोस है दुनिया में दीवाने कहाँ जायें.

शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.



यातना वंचना असह्य हो,

सहचरी वेदना बनी सदा.

निर्जन पथ निर्मम मीत मिला,

व्याकुल करती मदहोश अदा.

उलझन में पड़ा जीवन सुलझाने कहाँ जायें.

शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.



पल में विचलित कर देती हैं,

ये प्यार मुहब्बत की बातें.

नयनों मे कोष अश्रुओं का,

क्यूँ काटे नहीं कटती रातें.

राँझा की तरह बोलो मिट जाने कहाँ जायें..

शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 10, 2013 at 8:00pm — 10 Comments

मानव धर्म हमारा

समरसता की पले भावना सबका हो यह नारा

यह मानव धर्म हमारा शुभ मानव धर्म हमारा..



जन-जन में फैले विश्व शांति आपस में भाईचारे

मंदिर बांटा मस्जिद बांटी  अब बांटों ना गुरूद्वारे.

राम नाम भव तारेगा सदगुरू का एक इशारा..

यह मानव धर्म हमारा................



सुख दुःख आपस में बांटों बन व्योम,चन्द्र औ तारे

लहर दौड़ समता की जाये बचें कहर से  सारे .

अमन शांति और विश्व एकता यह शुभ कर्म हमारा ..

यह मानव धर्म…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on December 12, 2012 at 5:30pm — 4 Comments

उद्वेग

लिख डाली थी प्रेम कहानी कभी बड़े अरमानों से.

नहीं क्लेश किंचित था मुझको विस्फोटी सामानों से.

देश व्यथित हो गया आज जब अपनों औ बेगानों से.

टीस उठी तो कलम उठाई निकले तीर कमानों से..



मानवता का ह्रास हो रहा बिका हुश्न बाजारों में.

कर्णधार जो बनकर आये लिप्त हुए व्यभिचारों में.

अरे भान करवा दो इनको डर उपजे गद्दारों में.

अभी चमक बाकी है यारों भारत की तलवारों में..



छले गये हैं बहुत अभी तक अब न कभी छलने देंगें.

जाति-पांति के भेदभाव में देश नहीं जलने…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on August 11, 2012 at 11:00am — 8 Comments

दो मुक्तक

कहीं लब पर तराने हैं मुहब्बत के फ़साने हैं.

सुहाने दिन तेरी आगोश में मुझको बिताने हैं.

फिजा में ये हवायें भी तेरे दम से महकती हैं,

सुना है हीर की खातिर कई रांझे दिवाने हैं...



****************************************

यहाँ सब लोग तेरे हुश्न के किस्से सुनाते हैं.

अधर ये शबनमी उसके मुझे अक्सर रिझाते हैं.

बहुत बेचैन है ये दिल उड़ी है नींद आँखों से,

कटीले दो नयन तेरे बहुत मुझको सताते…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 11, 2012 at 10:30pm — 14 Comments

निष्काम कर्म

        ज्वालाशर छंद

१६ ,१५ पर यति अंत में दो गुरू (२२)

**********************************************

 

संकीर्णताओं से बचाती, निष्काम कर्म भावना ही.

हो जायें प्रवृत्त मनुज सभी, अधार हो सदभावना ही.

कर्तव्य का बस बोध होवे,इच्छा न कुछ पाने की हो,

संकल्पना कहती सदा ये,आशा सुधर जाने की हो.

 कोई मार्ग खोजें मुक्ति का,आशय जीवन का यही है.

सद्कर्म से सम्भव बने यह,विचार दर्शन का सही…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 23, 2012 at 3:30pm — 14 Comments

विछोह

मेरा यार मुझसे जुदा हुआ,                                               

मेरी जान जैसे निकल गई.

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई.

उसे चाहना या न चाहना

उसे पूजना या न पूजना 

मेरी चाहतों का हिसाब क्या,

मेरी रूह भी हो विकल गई..

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई..

कोई…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 13, 2012 at 8:00pm — 23 Comments

वाणी वंदना

वाणी वंदना

\

रसना पर अम्ब निवास करो,

माँ हंसवाहिनी नमन करूँ.

सेवक चरणों का बना रहूँ,

नित उठ बस तेरा ध्यान धरूँ.

 

छंदों का नवल स्वरुप लिखूँ,

लेखनी मातु रसधार बने.

हो प्रबल काव्य उर वास करो,

हर छंद मेरा असिधार बने.

 

मन…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 7, 2012 at 11:00pm — 12 Comments

मन मंथन

(गणबद्ध)                  मोतिया दाम छंद

सूत्र = चार जगण (१६ मात्रा) यानि  जगण-जगण-जगण-जगण (१२१ १२१ १२१ १२१)

************************************************************************************

दिखी  जब  देश  विदेश  अरीत.

दिखा शिशु भी हमको भयभीत .

तजें हम  द्वैष  बनें  मनमीत.

लिखूँ कुछ काव्य अमोघ…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 6, 2012 at 5:30pm — 12 Comments

स्वार्थ

(मात्रिक छंद)

उल्लाला = १५,१३ मात्रा

(मैथिली शरण गुप्त जी ने इस छंद पर कई रचनाएँ लिखी है)

(तुम सुनौ सदैव समीप है,जो अपना आराध्य है.)

*******************************************************

नहीं बड़ा परमार्थ से अब , धर्म …

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 5, 2012 at 9:00pm — 29 Comments

स्वप्न सुधा

       (चतुष्क-अष्टक पर आघृत)

पदपदांकुलक छंद (१६ मात्रा अंत में गुरू)

***********************************************************************************************************

सपनों पर जीत उसी की है,

जिसके मन में अभिलाषा है.

वह क्या जीतेंगे समर कभी,

जिनके मन घोर निराशा है ..

 

चींटी का सहज कर्म देखो,

चढ़ती है फिर गिर जाती है.

अपनें प्रयास के बल पर ही,

मंजिल वह अपनी पाती है..

 

 स्वप्न की उन्नत…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 3, 2012 at 3:00pm — 24 Comments

करुण व्यथा

     (प्रेमी की मनः स्थिति )

कोई  नहीं  है  चाहता  विछड़े  वो  यार  से,

दोनो का यदि मिलन हो विदाई भी प्यार से .

हो आत्मा में वास तो फिर प्रियतमा मिले ,

होता  चमन  गुलिस्तां  है  जैसे  बहार  से ..

*          *         *          *        *        

मुझको ये था यकीन कि है प्यार भी तुम्हे,

मेरे  बगैर  जीना  तो   दुश्वार  है  तुम्हे.

ये बंदिशें थीं प्यार की जो उलझने मिली,

ये सोंचना गलत था कि स्वीकार है…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 12:00am — 16 Comments

-:प्रेम के कुछ मुक्तक:-

"कम से कम दो कदम प्रेम पथ पर चलें"…




Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 1:30am — 13 Comments

आह



आह देशभक्त की है आह  एक पितृ की है ,

आह माँ की लिखने को कलम  उठाई  है .
आह बेटियों की है पुकार के ये  पूंछ…
Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on February 27, 2012 at 12:47am — No Comments

उदबोध

प्रभुता  की बागडोर आप सबके ही हाँथ,
चेतना में आके मान  देश  का  बढाइये.…
Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on February 24, 2012 at 4:00pm — 10 Comments

*स्वप्न*

       *स्वप्न*

सपनों को मत रोकों टोको,…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on February 22, 2012 at 11:30pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
3 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
16 minutes ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
2 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service