For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अफ़सोस है दुनिया में दीवाने कहाँ जायें.
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.

यातना वंचना असह्य हो,
सहचरी वेदना बनी सदा.
निर्जन पथ निर्मम मीत मिला,
व्याकुल करती मदहोश अदा.
उलझन में पड़ा जीवन सुलझाने कहाँ जायें.
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.

पल में विचलित कर देती हैं,
ये प्यार मुहब्बत की बातें.
नयनों मे कोष अश्रुओं का,
क्यूँ काटे नहीं कटती रातें.
राँझा की तरह बोलो मिट जाने कहाँ जायें..
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.

विधु रश्मि शूल सी लगती है,
उर अबुध शलभ सम छला गया.
मन व्यथित थकित तन मूक नयन
मनमीत निठुर हो चला गया.
क्रन्दन जो करे सरगम फिर गाने कहाँ जायें..
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें...
*************************************************************
शैलेन्द्र सिंह “मृदु”

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:24pm

आदरणीय आशीष नैथानी 'सलिल' जी प्रयास को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 12, 2013 at 12:02pm

वाह सुन्दर रचना भाई !!!

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:01pm

आदरणीया Anwesha Anjushree मैम सराहना हेतु कोटिशः आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:00pm

आदरणीय PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA सर स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 11:58am

आदरणीय SANDEEP KUMAR PATEL जी सराहना के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 11:56am

आदरणीया प्राची मैम सराहना हेतु आभार

लिख डाली थी प्रेम कहानी कभी बड़े अरमानों से.

नहीं क्लेश किंचित था मुझको विस्फोटी सामानों से.

              और अब आपके बहुमूल्य सुझाव पर एक कविता आक्रोश..................अगली ब्लॉग पोस्ट

देश व्यथित हो गया आज जब अपनों औ बेगानों से.

टीस उठी तो कलम उठाई निकले तीर कमानों से..

                 सादर

Comment by Anwesha Anjushree on January 11, 2013 at 7:02pm

Virah ki vedna....achchha prayas...likhte rahe

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 11, 2013 at 4:09pm

स्नेही मृदु जी,

सादर 

सुन्दर भाव , रचना हेतु बधाई. 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 11, 2013 at 3:51pm

बहुत सुन्दर बंधुवर म्रदु जी बधाई हो इस रचना के लि


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 11, 2013 at 12:32pm

भावों को सुन्दर अभिव्यक्ति शैलेन्द्र जी ....इस हेतु हार्दिक बधाई.

पर आज विश्व के साथ साथ देश जिन ज्वलंत समस्याओं से जूझ रहा है उसमें दीवानगी को एक सही दिशा देने की जरूरत है, न कि परवानों की तरह शम्मा के पीछे भटकते रहने की.

यदि युवा शक्ति इन व्यर्थ बातों में अपना कीमती वक़्त और ऊर्जा जाया न कर इसे सही दिशा दे, तो निश्चय ही प्रवाह की दिशा उलट दे.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
4 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service