For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरुन 'अनन्त''s Blog – July 2012 Archive (28)

कुछ शेर

समाधान चाहिए

बढ़ती हुई समस्याओं का, समाधान चाहिए,

इंसान के अवतार में, फिर भगवान चाहिए,

मुश्किलों से घिरी हुई है,अपनी जन्म-भूमि,

अब एक जुझारू योद्धा,बड़ा बलवान चाहिए, 

बैठे हैं भ्रष्ठाचारी, हर मोड़ हर कदम पर,

अब इनकी खातिर,एक नया शमशान…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 5:30pm — No Comments

रात के तेवर

रात के तेवर जब - जब बदले नज़र आये,

तेरी यादों के मौसम बड़े उबले नज़र आये,

 

तसल्ली दे रहे हैं, हालात मुझे लेकिन,

आँखों से सारे मंजर दुबले नज़र आये,

 

भभकते अश्कों को कोई साथ न मिला,

न रुके और न…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 12:44pm — 8 Comments

मुकम्मल हो नहीं पाए

ख्वाब आँखों के कोई भी मुकम्मल हो नहीं पाए,

खाकर ठोकर यूँ गिरे फिर उठकर चल नहीं पाए,

खिलाफत कर नहीं पाए बंधे रिश्ते कुछ ऐसे थे,

सवालों के किसी मुद्दे का कोई हल नहीं पाए,

बड़े उलटे सीधे थे, गढ़े रिवाज तेरे शहर के,

लाख कोशिशों के बावजूद हम उनमे ढल नहीं…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 12:09pm — 6 Comments

दो कवितायेँ

(१)

मोहब्बतों से विनती



मोहब्बतों से विनती दिलों से निवेदन,

नहीं दिल्लगी में मिले, कोई साधन,



नाजुक बहुत हैं ये रिश्तों के धागे,

नहीं फिर जुड़ेगा, जो टूटा ये बंधन,



संभालेंगे कैसे लडखडाये कदम जब,

फ़िसलेंगे हाथों से अपनों के दामन,



पनप नहीं पाते ज़ज्बात फिर दिलो में,

सूना हो गया जो निगाहों का आँगन,



आँखों का बाँध छूटा तो कैसे बंधेगा,

अश्को से हो जायेगी इतनी अनबन,



(२)

मैं तो…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 1:30pm — No Comments

चेहरा है तलाशा

हो गयी चाँद को हैरानी, सागर हुआ है प्यासा,
निगाहों ने मेरी खातिर ऐसा चेहरा है तलाशा,

उजड़े हुए चमन में फिर से फूल खिल गया हो,
मेरे रब ने, जैसे खुद किसी, हीरे को हो तराशा,

यारों दिन में भी हो जाए अंधेरों का इजाफा,
उसकी सूरत जो न दिखे तो बढ जाती है निराशा,

ये पहाड़ सी जिंदगानी चुटकी में गुजर जाए,
तेरा साथ जो मिले, मुझको राहों में जरा सा,

तू ही दिल की आरजू, तू ही प्यार की परिभाषा,
तूफाँ में बुझ रहे चरागों की तू है आशा.......

Added by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 1:00pm — No Comments

बिखरे हुए पन्ने

बिखरे हुए पन्ने किताबों के आगे,
जिंदगी रुक गयी हिसाबों के आगे,

सवालों के पीछे सवालों के तांते,
उलझी जवानी जवाबों के आगे,

जीने में जद्दोजहद हो गयी है,
सुधरे हुए हारे खराबों के आगे,

कोई चोट देकर कोई चोट खाकर,
सब लेटे पड़े हैं शराबों के आगे,

आँखों में सजाये जिसे बैठे सभी हैं,
मंजिल नहीं है उन ख्वाबों के आगे.......
-------------------------------------------------------



Added by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 12:00pm — 5 Comments

तेरी भीगी निगाहें

तेरी भीगी निगाहों ने जब-जब छुआ है मुझे,
तेरा एहसास मिला तो कुछ-कुछ हुआ है मुझे,

फिसल कर छूट गया तेरा हाथ मेरे हाथों से,
सितम गर ज़माने से मिली बददुआ है मुझे,

लगी है ठोकर संभालना बहुत मुश्किल है,
घूंट चाहत का लग रहा अब कडुआ है मुझे, 

तरसती- बेबाक नज़रें ताकती हैं रास्तों को,
दिखा तेरी सूरत के बदले सिर्फ धुँआ है मुझे....

Added by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 10:30am — 4 Comments

आँखों से मौत के निशाने निकल पड़े



आँखों से मौत के निशाने निकल पड़े,

दिल पे चोट खाए दिवाने निकल पड़े,



बसती है तेरी चाहत सनम मेरी रूह में,

सूखे लबों की प्यास बुझाने निकल पड़े,



चाहतों के मामले फसानों में कैद है,

इल्जामों का पिटारा दिखाने निकल पड़े,



यादों का तेरे मौसम जब - जब आया है,

अश्को में बीते सारे ज़माने निकल पड़े,



होता है दर्द अक्सर तेरे बदले मिजाज़ से,

आज अपने साथ तुझको मिटाने निकल पड़े,



उल्फत की जिंदगी मैं जी-जी कर हारा हूँ,

समंदर में…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 4, 2012 at 11:00am — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
21 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
21 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
21 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
21 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
21 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
21 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service