For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"'s Blog – September 2016 Archive (6)

भाई साहब सबकी अर्थी, बस कन्धों पर जानी है-----इस्लाह के लिए ग़ज़ल

22 22 22 22 22 22 22 2

माटी माटी जुटा रही पर जीवन बहता पानी है

स्वार्थ लिप्त हर मनुज हुआ कलयुग की यही कहानी है



मन की आग बुझे बारिश से, सम्भव भला कहाँ होगा

तुम दलदल की तली ढूंढते ये कैसी नादानी है



भौतिकता तो महाकूप है मत उतरो गहराई में

दर्पण कीचड़ युक्त रहा तो मुक्ति नहीं मिल पानी है



बीत गया सो बीत गया क्षण, बीता अपना कहाँ रहा

हर पल दान लिए जाता है समय शुद्ध यजमानी है



स्वर्ण महल अवशेष न दिखता हस्तिनापुर बस कथा रहा।

बाबर वंश… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 29, 2016 at 5:41pm — 21 Comments

ग़ज़ल-इस्लाह के लिए

2122 1212 22(112)



आदरणीय बाऊजी द्वारा इस ग़ज़ल का मत्ला सुझाया गया है, उनको सादर नमन

.................................



सोचिये तो जनाब क्या होगी

ख़ूब,दिल से किताब क्या होगी"



इश्क़ से जिसका वास्ता ही नहीं

नींद उसकी ख़राब क्या होगी



क्रोध के घूँट का मज़ा है अलग

इससे बेहतर शराब क्या होगी



खुद खुली इक किताब है जो नफ़र

ज़िल्द उस पर ज़नाब क्या होगी



चल रही ज़िस्म की नुमाइश तो

रूह फिर आफ़ताब क्या होगी



मौलिक… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 20, 2016 at 7:30am — 6 Comments

सृष्टि का सबसे मधुर फिर गीत हम गाते सनम-----ग़ज़ल, पंकज मिश्र

2122 2122 2122 212



काश तेरे नैन मेरी रूह पढ़ पाते सनम।

दर ब दर भटकाव से ठहराव पा जाते सनम।।



इक दफ़ा बस इक दफ़ा तुम मेरे मन में झाँकते।

देखकर मूरत स्वयं की मन्द मुस्काते सनम।।



धड़कनों के साथ अपनी धड़कनें गर जोड़ते।

इश्क़ का अमृत झमाझम तुमपे बरसाते सनम।।



हाथ मेरे थाम कर चुपचाप चलते दो कदम।

प्रीत का जिंदा नगर हम तुमको दिखलाते सनम।।



खुद से अब तक मिल न पाए हो तो बतलाऊँ तुम्हें।

लोग कहते शेर मेरे तुझसे मिलवाते… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 16, 2016 at 9:50pm — 13 Comments

भावना के ज्वार से खुद को निकाल ले----ग़ज़ल (पंकज मिश्र)

2212 1212 2212 12
मन की फिज़ा बिगाड़ के, बरसात रोकते?
बकवास से ख़याल तो, अब मत ही पालिये

जब की सुनामी हो उठी, धड़कन के शह्र में
वाज़िब है दिल के घाट से, कुछ फासला रहे

सुनिये तो साहिबान ये, सर्कस अजीब है
सपनों में विष मिलाते हैं अपने ही काट के

मरहम लिए हक़ीम तो मिलते तमाम हैं
ये और बात उसमें नमक मिर्च डाल के

क्या रोग पाल बैठा है, पंकज इलाज़ कर
तू भावना के ज्वार से खुद को निकाल ले

मौलिक अप्रकाशित

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 16, 2016 at 9:54am — 6 Comments

सोच करनी ही थी मंदार कभी-ग़ज़ल , पंकज

2122 1122 112

तू मेरा कब था अलमदार कभी
आँख कब तेरी थी नमदार कभी

शुक्रिया ज़ख्म नवाज़ी के लिए
और क्या माँगे कलमकार कभी

जिसे ख़ाहिश नशा ताउम्र रहे
उसे भाये न चिलमदार कभी

सोच कर एक शज़र ग़म में हुआ
जिस्म खुद का भी था दमदार कभी

मैं समंदर के ही मंथन को चला
सोच करनी ही थी मंदार कभी

मौलिक-अप्रकाशित

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 12, 2016 at 12:00am — 14 Comments

ये दुनिया मेरी सल्तनत राजगी है-------ग़ज़ल

122 122 122 122
तेरे हुश्न में इक गज़ब ताज़गी है
भरूँ साँस में आस मन में जगी है।

नये काफियों की नई इक बह्र तुम
ग़ज़ल खूबरू जिसमें पाकीज़गी है।

तुम्हें चाँदनी से सजाया गया तो
अमावस को ईश्वर से नाराज़गी है

सिवा तेरे कोई भजन ही न भाये
यहाँ मन पे बस तेरी ही ख्वाजगी है

मेरे हाथ गर थाम कर तुम चलो तो
ये दुनिया मेरी सल्तनत राजगी है

मौलिक-अप्रकाशित

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 9, 2016 at 7:33pm — 7 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
23 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
26 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
34 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
34 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
35 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
36 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
38 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
40 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
50 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service