For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिनेश कुमार's Blog – September 2015 Archive (3)

ग़ज़ल -- आईना बना ले मुझको .... दिनेश कुमार

2122-1122-1122-22



अहले महफ़िल की निग़ाहों से छुपा ले मुझको

मैं तेरा ख़्वाब हूँ आँखों में बसा ले मुझको



अपनी मंज़िल पे यकीनन मैं पहुंच जाऊँगा

कोई बस राहनुमाओं से बचा ले मुझको



रात कटती है न अब दिन ही मेरा तेरे बग़ैर

मेरी आवारगी नेजे पे उछाले मुझको



सबके दुखदर्द में जब मैंने मसीहाई की

इस ग़मे जाँ में कोई क्यूँ न सँभाले मुझको



शख़्सियत तेरी सँवारूंगा ये वादा है मिरा

अपनी तक़दीर का आईना बना ले मुझको



दिल के दरिया में… Continue

Added by दिनेश कुमार on September 15, 2015 at 4:30pm — 11 Comments

ग़ज़ल -- कोई रास्ता मिले ...( बराए इस्लाह ) .... दिनेश कुमार

221-2121-1221-212



मंज़िल मिले न मुझको कोई रास्ता मिले

सहरा-ए-ज़िन्दगी में फ़क़त नक्शे पा मिले



मरने से भी ग़ुरेज़ न मुझ जैसे रिन्द को

लेकिन ये हो कि मर के मुझे मयकदा मिले



क़ैद-ए-नफ़स से रूह जो आज़ाद हो मिरी

फिर उसको पैरहन न कोई दूसरा मिले



बेचैन हूँ मैं गर्मी-ए-अहसास-ए-हिज्र से

अब तो तुम्हारे प्यार की ताज़ा हवा मिले



पुरपेंच पुरख़तर है ये जीवन की रहगुज़र

अच्छा हो रहनुमा जो अगर आप सा मिले



तूफाँ की ज़द में आ गयी कश्ती… Continue

Added by दिनेश कुमार on September 8, 2015 at 4:38pm — 18 Comments

ग़ज़ल -- कौन है यह रूबरू.... दिनेश कुमार

2122-2122-2122-212



वक़्त के गुज़रे हुए लम्हात की तफ़्सीर है

मेरी हस्ती मेरी माँ के ख़्वाब की ताबीर है



मुझको दुनिया भर की दौलत से नहीं कुछ वास्ता

मेरे क़दमों में पड़ी अलफ़ाज़ की जागीर है



आइना देखा जो बरसों बाद, मैं हैरान हूँ

कौन है यह रूबरू, किस शख़्स की तस्वीर है



अहले महफ़िल के लिए बेशक मआनी और हो

शाइरी मेरे ग़मों की पुरख़लिश तहरीर है



नित नई परवाज़ केवल ख़्वाब ही रह जाएगा

इन परिन्दों को बताओ बुज़दिली ज़ंजीर है



भूख… Continue

Added by दिनेश कुमार on September 4, 2015 at 7:00am — 7 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service