अनमनी आकुल अखिल की आस्थाएं
(मधु गीति सं. १७२५ , दि. १४ मार्च, २०११)
अनमनी आकुल अखिल की आस्थाएं, व्यवस्था की अवस्था का सुर सुधाएं;
चेतना भरकर…
ContinueAdded by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 31, 2011 at 12:00pm — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on March 28, 2011 at 3:30pm — 5 Comments
Added by Veerendra Jain on March 22, 2011 at 11:30am — 5 Comments
Added by Abhinav Arun on March 20, 2011 at 6:30pm — 18 Comments
Added by Abhinav Arun on March 19, 2011 at 1:30pm — 3 Comments
Added by Sujit Kumar Lucky on March 18, 2011 at 9:06am — No Comments
मैं रहूँ न रहूं ,यादें मेरी रह जाएंगी..
Added by Lata R.Ojha on March 14, 2011 at 12:30pm — 3 Comments
रंग अपना अपना ..
हर आदमी में होता है, रंग अपना अपना ।
उड़ान भर रहे हैं, लेकर के अपनी कल्पना।।
पूरी हुई न अबतक, इस जिंदगी में राहें।
यदि थक गया है कोई, तो भर रहा है आहें।
कुछ और आगे चलने का, रह गया है सपना।।
हर आदमी में…
Added by R N Tiwari on March 13, 2011 at 6:00pm — 1 Comment
Added by Lata R.Ojha on March 12, 2011 at 10:30pm — 3 Comments
प्रभु ये क्या गजब कर डाला ....
एक बार एक भक्त ,
भगवान शिव की ,
लगातार आराधना की ,
उसने भगवन शिव की ,
मन जीत ली ,
एक दिन भगवन शिव ,
दर्शन दिए ,
उससे बोले ,
एक वर मांगने के लिए ,
उसने सोचा ,
फिर बोला ,
भगवन मुझे किसी भी ,
त्रिसंकू बिधानसभा का ,
निर्दलीय सदस्य बना दो ,
प्रभु यही एक वर दो ,
भगवान शिव ने कहा ,
ऐसा ही होगा ,
इतना बोल भगवन कैलाश गए ,
तब माँ पार्बती ने कहा ,
प्रभु ये क्या गजब कर…
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 1 Comment
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 2 Comments
Added by Julie on March 8, 2011 at 8:38pm — 9 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2011 at 5:30pm — 1 Comment
तुमसे कितना प्यार किया ऐ कभी समझा नहीं
तुम्हारे न आने पर हम कितने उदास होते थे
तुम्हें हम कितना याद करते थे,
आपने ओ कभी महसूस नहीं किया
आप पे हमने कितना…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 6, 2011 at 8:00pm — No Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 6, 2011 at 12:00pm — No Comments
Added by arvind yogi on March 5, 2011 at 11:43pm — 3 Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 5, 2011 at 5:00pm — No Comments
Added by Dr Nutan on March 5, 2011 at 1:00am — 4 Comments
जहाँ फ़ैल रहा प्रकाश वहाँ, क्यों फैला रहे अंधेरा,
खुशियों को छीन लो ना उनसे, होने दो वहाँ सवेरा,
जालिम कहर तुम्हारी, बरसे जहाँ जहाँ पर ,
रहते थे शान्ति के पुजारी,बंजर है अब वहाँ पर,
कितनो के चमन उजाड़ दिए, कितनो का लूटोगे डेरा,
खुशियों को छीन लो ना उनसे, होने दो वहाँ सवेरा.
अन्दर तुम्हारे है क्या , लेते सदा सहारा,
खुद की जमीं बचा न सके तो, दूसरों का घर उजाड़ा,
कब तक बनोगे सांप तुम,नचाएगा तुम्हे संपेरा,
खुशियों…
Added by Dhananjay Pathak on March 4, 2011 at 12:00am — No Comments
यादें.................
मन की उदासी को ह्रदय में,
बसा के रख लिया ,
आप की बेवफाई को,
जीवन अंग समझ लिया !
मैंने की बेहद मुहब्बत मगर,
आपको क्या फर्क पडा,
तुमने लिए जो फैसले प्यार में,
उस दर्द से दिल मेरा रो पडा !
मिलेंगे तुम्हें हज़ारो दौलतमंद पर,
प्रीत की होगी वहां न भनक,
राह भूल मेरे अनमोल प्रेम को,
तोड़ देगी पैसे की खनक !
अपने सारे गमो को मै छुपा लूंगा,
एक तुम्हारी ख़ुशी के लिए
अब ना आयेंगे…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 3, 2011 at 7:30pm — 2 Comments
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