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Meena Pathak's Blog – December 2013 Archive (5)

आजादी आखिर कितनी ?

स्त्री को आजादी वैदिक काल से ही मिली हुई है फर्क सिर्फ इतना है कि आज उस आजादी में कुछ निजी स्वार्थ समा गया है | वर्षों पहले से स्त्री को हर तरह की आजादी मिली हुई है अपने मन मुताबिक़ कपड़े पहनने की आजादी.अपने मन मुताबिक़ पति चुनने की आजादी,अपने मर्जी से शिक्षा क्षेत्र चुनने की आजादी यहाँ तक कि वो रण क्षेत्र में भी अपनी मर्जी से जाती थी | उन्हें कोई रोक-टोक नही थी इसके बावजूद वो अपनी पारिवारिक जिम्मदारियां भी बखूबी निभाती थीं और अपने पति के पीछे उनकी प्रेरणा बन के खड़ी रहती थी तो आज ऐसा क्यों नही…

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Added by Meena Pathak on December 23, 2013 at 2:00pm — 20 Comments

काश !!.... मीना

सोचती हूँ होती मेरी भी एक बिटिया
पढ़ती वो भी बिन कहे दिल की पतिया
भीगती जब असुअन से मेरी अखियाँ
पूछती माँ क्यूँ भीगी तेरी अखिंयाँ
बनाती बहाना चुभ गया कुछ बिटिया
कहती,समझती हूँ माँ तेरे दिल की बतियाँ !!
 

काश होती मेरी भी एक बिटिया
वो पढ़ लेती मेरे दिल की पतियाँ
होती मेरी हमसाया,हमराज,सखी
कहती ना कभी ऐसी बतियाँ
उड़ा देती जो मेरी रातों की निंदियाँ
माँ तुममे भी है कुछ कमियाँ !!

मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Added by Meena Pathak on December 17, 2013 at 5:15pm — 19 Comments

आहत माँ का दर्द

मै जीना चाहती हूँ माँ !!



कैसे जियेगी तू मेरी बच्ची ?

समय के साथ ये सब

श्रद्धांजलि और प्रदर्शनों

के आडम्बर शांत हो जायेंगे

सब कुछ भूल, लग जायेंगे

सभी अपने अपने काम में

पर तेरा जीवन नही बदलेगा !!

   

जो बच गई

जीवन तेरा और भी नर्क हो जाएगा

तू जब भी निकलेगी घर से

तेरी तरफ उठेंगी सौकड़ों आँखे  

तू भूलना भी चाहेगी तो

दिखा – दिखा उंगुली    

लोग तुझे भूलने नही देंगे

जानना चाहेंगे सभी ये कि  

कैसे हुआ ये…

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Added by Meena Pathak on December 16, 2013 at 7:00pm — 36 Comments

चीख -- (लघुकथा)

हॉस्पिटल से आने के बाद दिया ने आज माँ से आईना माँगा | माँ आँखों में आँसू भर कर बोली “ना देख बेटा आईना, देख न सकेगी तू |” पर दिया की जिद के आगे उसकी एक न चली और उसने आईना ला कर धड़कते दिल से दिया के हाथ में थमा दिया और खुद उसके पास बैठ गई | दिया ने भी धड़कते दिल से आईना अपने चेहरे के सामने किया और एक तेज चीख पूरे घर में गूँज गई, माँ की गोद में चेहरा छुपा कर फूट-फूट कर रो पड़ी दिया | माँ ने अपने आँसू पोंछे और उसके सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए बोली कि “मैंने तो पहले ही तुझसे बोला था कि मत देख…

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Added by Meena Pathak on December 9, 2013 at 3:11pm — 25 Comments

खुशियों के हम दीप जलाएं

खुशियों के हम दीप जलाएं

जग में उजियारा फैलाएं  



हो हमसे कोई हृदय दुखी

वहाँ  प्रेम का बीज बो आयें

खुशियों के हम दीप जलाएं

जग में उजियारा फैलाएं 



हो न कोई भूखा, ग़मगीन

हों सब रोजगारी व ज़हीन

खुशियों के हम दीप जलाएं

जग में उजियारा फैलाएं 



निर्भय हो समाज में सभी जहाँ

बेटियों का हो सम्मान जहाँ  

खुशियों के हम दीप जलाएं

जग में उजियारा फैलाएं



भाई हों राम लक्ष्मण जहाँ

ना हो सीता वनवास जहाँ   …

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Added by Meena Pathak on December 5, 2013 at 4:30pm — 18 Comments

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