For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुन री सखी
दो शब्द भी प्रेम के
नही लिखती
चीखें,दर्द कराहें
लिखती हूँ प्रेम से
|

उनकी बात
कम नही सजा से
तुम्हारे साथ
बिताये हुए पल
सखी कैसे कहूँ मै
|

जीवन मेला
लिए रिश्तों का रेला
जाना था दूर
रह गया अकेला
नयनो में अन्धेरा
|

आहूती स्वप्न
साँसों की है सविधा
जीवन यज्ञ
धुँआ हुई भावना
सुलगी हर आस
|

मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on June 7, 2014 at 5:40pm

आप का कहा अतार्किक लगने का सवाल ही नही है आदरणीय सौरभ सर जी ,, आगे से खयाल रखूँगी 

रचना सराहने और मार्गदर्शन हेतु आभार स्वीकारें सर | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 7, 2014 at 4:28am

आपकी प्रस्तुति सुगढ़ है.  हार्दिक बधाई आदरणीया.

चीखें, कराहें जैसे बहुवचन असंगत हैं. उस हिसाब से तो दर्दें भी होने लगेगा.

चीख या कराह भावों का बहुवचन स्वरूप भी हैं.

यदि मेरा कहा अतार्किक लगा हो तो क्षमा कीजियेगा.

सादर

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:31pm

आदरणीय गोपाल नारायन जी, आदरणीय श्याम नारायण जी , सादर आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:30pm

आदरणीया कुन्ती दी, आप की उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हमेशा लिखने को प्रेरित करती है | यूँ ही स्नेह बनाये रखें | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:28pm

आदरणीय आशुतोष जी ..आदरणीय शिज्जू जी , तहेदिल से आभार स्वीकारें सादर 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:27pm

आदरणीय बृजेश जी त्रुटियों की तरफ इंगित करने हेतु सादर आभार 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:26pm

आदरणीय लाडीवाला जी बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2014 at 12:06pm

अच्छी रचना है! आपको बहुत बधाई!

टंकण त्रुटियों पर ध्यान दें.

सादर!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 31, 2014 at 11:24am

जीवन मेला 
लिए रिश्तों का रेला 
जाना था दूर 
रह गया अकेला 
नयनो में अन्धेरा
 |-  वाह ! बहुत सुन्दर 

Comment by Meena Pathak on May 30, 2014 at 4:31pm
Hindi me likh nhi pa rahi hun .. aap sabhi ka tahedil se abhaar ... saadar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service