For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कराहती है माँ गंगा

व्यथित है पतितपावनी
अपनी दशा पर आज
प्रश्न पूछती यही सबसे हजार बार
की है किसने दुर्गति ये
कौन है इसका जिम्मेदार ?

राजा, रंक हो या संत
दिया सबको समान अधिकार
सिंचित कर धरा को
भरा संपदा जिसने अपार
विष भर उसकी रगों में फिर
धकेला किसने उसे मृत्यु के द्वार ?

स्नान आचमन से जिसके देव प्रशन्न होते हैं
मुख में इक बूँद ले लोग
स्वर्ग गमन करते हैं
आँचल में उसी के शवों को छुपा
ढेरों मैल बहाया है
दामन पर उसके दाग ये किसने लगाया है ?

हरिहर प्यारी, ब्रह्मा की दुलारी
चलती थी जो मचलती, लहराती
पीड़ा देख उसकी अब
देवों का हृदय भी भर आया है
आखिर उसे इस हाल में किसने पहुँचाया है ?

दी है सद्गति जिसने, आज वह कराहती है
सुनो ना ! माँ गंगा तुम्हें पुकारती है,
माँ गंगा तुम्हें पुकारती है  ||

मीना पाठक
मौलिक/अप्रकाशित  

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 23, 2015 at 8:27pm

माँ गंगा तुम्हें पुकारती है! सार्थक सन्देश लिए हुए!सुन्दर रचना पर बहुत बहुत बधाई आदरणीया मीना पाठक जी!

Comment by Meena Pathak on March 23, 2015 at 3:58pm

आदरणीय हरी प्रकाश जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on March 23, 2015 at 3:57pm

आदरणीय बागी जी आपके सुझाव का पूरा खयाल रखूँगी | सादर 

Comment by Meena Pathak on March 23, 2015 at 3:56pm

सस्नेह आभार प्रिय कल्पना 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 23, 2015 at 12:40am

दी है सद्गति जिसने, आज वह कराहती है 
सुनो ना ! माँ गंगा तुम्हें पुकारती है,....सुन्दर भावपूर्ण रचना पर बधाई आपको आदरणीया मीना पाठक जी,सादर ! 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 22, 2015 at 8:55pm

आदरणीया मीना पाठक जी, सुन्दर भावाभिव्यक्ति है, एक सुझाव है यदि तुकांत रचना रच रही हैं तो पक्तियों में मात्राओं को संयत कर लें अन्यथा अतुकांत शैली में अभिव्यक्त करने का प्रयास करें. बधाई इस प्रयास पर.

Comment by kalpna mishra bajpai on March 22, 2015 at 1:59am

बहुत सुंदर मीना दी 

Comment by Meena Pathak on March 21, 2015 at 7:59pm

आदरणीय श्याम नारायण जी बहुत बहुत आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on March 21, 2015 at 7:59pm

आदरणीय शुज्जू जी रचना सराहने हेतु बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on March 21, 2015 at 7:58pm

आदरणीय विजय जी , सादर आभार स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service