For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नादिर ख़ान's Blog – November 2012 Archive (7)

दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए

दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए

अच्छे बुरे का फर्क जाना जाए

कब्ल इसके उंगली उठाओ सब पर

अपने दिल को भी तो खंगाला जाए

यूँ तो उनकी की है फजीहत सबने

प्यार उनसे कभी जताया जाए

निकले बाहर गरीबों की आवाज़ें

उनको भी तो कभी सुन लिया जाए

पहले इसके बिगड़ जायें हालात

जुल्मों को वक़्त रहते रोका जाए 

Added by नादिर ख़ान on November 30, 2012 at 10:35pm — 4 Comments

मंज़िल अभी दूर है

तैयार किए गए

कुछ रोबोट

डाले गए

नफरत के प्रोग्राम

चार्ज किए गए

हैवानियत की बैटरी से

फिर भेज दिये  गए  

इंसानों की बस्ती में

फैलने आतंक

 

ये और बात है

इंसानियत ज़िंदा रही

हार गए हैवान

नहीं डरा सके हमें

न हीं कमज़ोर कर सके

हमारा आत्मविश्वास

 

और…

Continue

Added by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 11:53am — 9 Comments

आज करना कुछ नया-सा चाहता हूँ

आज करना कुछ नया-सा चाहता हूँ

आस के जज़्बात भरना चाहता हूँ

 

ये ग़ज़ल मेरी अधूरी है अभी तक

बस तेरी ख़ुशबू मिलाना चाहता हूँ

 

शौक़ है ये और ज़िद भी है हमारी

दिल में दुश्मन के उतरना चाहता हूँ

 

ख़ौफ़जद है ज़िंदगी अब तो हमारी

प्यार के कुछ रंग भरना चाहता हूँ 

 

दुश्मनों ने दोस्त बन कर जो किया था

गलतियाँ उनकी भुलाना चाहता हूँ

(मात्रा  2122  2122  2122  की कोशिश की है ।)

Added by नादिर ख़ान on November 20, 2012 at 11:00pm — 6 Comments

गिरती दीवारें सूने खलिहान है

गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है

चौपालों में बैठक और हंसी ठट्ठे
छोटे छोटे से मेरे अरमान है

जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है

लें मोती आप औरों के लिये कंकड़
वादे झूठे मिली खोखली शान है

हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है
मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है

Added by नादिर ख़ान on November 16, 2012 at 4:30pm — 12 Comments

तेरा था कुछ, न मेरा था

तेरा था कुछ और न मेरा था

दुनिया का बाज़ार लगा था

मेरे घर में आग लगी जब

तेरा घर भी साथ जला था

 

अपना हो या हो वो पराया

सबके दिल में चोर छिपा था

 

तुम भी सोचो मै भी सोचूँ

क्यों अपनों में शोर मचा था 

 

टोपी - पगड़ी बाँट रहे थे

खूँ का सब में दाग लगा था

मै भी तेरे पास नहीं था

तू भी मुझसे दूर खड़ा था

Added by नादिर ख़ान on November 12, 2012 at 11:17pm — 1 Comment

मेरा बेटा (2)

मेरा बेटा

अभी बच्चा है

अक़्ल से कच्चा है

चीज़ों का महत्व

नहीं जानता

और न ही

बड़ी बातें करना जानता है

उसकी खुशियाँ भी

छोटी-छोटी हैं

चॉकलेट, खिलौनों से ख़ुश

पेट भर जाए तो ख़ुश

पर लालची नहीं है वो

उतना ही खाएगा

जितनी भूख़ है

कल के लिए नहीं सोचता

आज की फिक्र करता है

चीज़ें ज़्यादा हो जायें

दोस्तों में बाँट देगा

छोटा है न

कुछ समझता नहीं

लोग समझाते हैं

बाद के लिए रख लो

पर नहीं समझता…

Continue

Added by नादिर ख़ान on November 8, 2012 at 6:00pm — 4 Comments

मेरा बेटा

मेरा बेटा

छोटा है

महज़ छ: साल का

मगर

खिलौने इकट्ठे करने में

माहिर है

और खिलौने भी क्या ?

दिवाली के बुझे हुये दिये

अलग-अलग किस्म की

पिचकारियाँ

हाँ कई रंग भी है

उसके मैंजिक बॉक्स में

लाल, हरे, पीले

मगर रंगों मे फर्क

नहीं जानता

बच्चा है न

नासमझ है

होली में

पूछेगा नहीं

आपको कौन सा रंग पसंद है

बस लगा देगा

बच्चा है न

नासमझ है

हरे और पीले का फर्क

अभी नहीं जानता

उसे तो ये भी नहीं पता

होली का…

Continue

Added by नादिर ख़ान on November 5, 2012 at 3:30pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
7 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service