For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – October 2022 Archive (4)

दोहा त्रयी- सागर

दोहा त्रयी : सागर

सागर से बादल चला, लेकर खारा नीर ।
धरती को लौटा रहा, मृदु बूँदों का क्षीर ।।

जाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर ।
पीते -पीते हो गया , खारा उसका नीर ।।

लहरों से गीले सदा, रहते सागर तीर ।
बन कर कितने ही मिटे, यहाँ स्वप्न प्राचीर ।।

सुशील सरना / 31-10-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on October 31, 2022 at 12:51pm — 10 Comments

गीतिका

गीतिका
आधार छंद - चौपई (जयकरी छंद )-15 मात्रिक -पदात-गाल

साँसें   जीवन  का  शृंगार ।
बिना साँस सजती दीवार ।

कब जीवित का होता मान ,
चित्रों   को   पूजे   संसार ।

मिलता अपनों  से  आघात ,
इनका  प्यार   लगे   बेकार  ।

पल-पल  रिश्ते  बदलें  रूप ,
मतभेदों   से  पड़ी दरार ।

बड़ा अजब जग का दस्तूर ,
भरे   प्यार   में  ये   अंगार ।

सुशील सरना / 17-10-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on October 17, 2022 at 5:40pm — 10 Comments

दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . .

दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . .

सदियों से लंकेश का, जलता दम्भ  प्रतीक ।

मिटी नहीं पर आज तक, बैर भाव की लीक।।

सीता ढूँढे राम को, गली-गली में  आज ।

लूट रहे हर मोड़ पर, देखो रावण लाज ।।

 मन के रावण के लिए, बन जाओ तुम राम।

अंतस को पावन करो,हृदय बने श्री धाम।।

कहते हैं रावण बड़ा, जग में था विद्वान ।

पर नारी के मोह ने, छीनी उसकी जान ।।

माँ सीता का कर हरण, इठलाया  लंकेश ।

मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 5, 2022 at 1:00pm — 6 Comments

असली - नकली. . . .

असली -नकली . . . .

सोच समझ कर पुष्प पर, अलि होना आसक्त ।

नकली इस मकरंद पर  , प्रेम न करना व्यक्त ।।

गुलदानों में आजकल, सजते नकली फूल ।

सच्चाई के तोड़ते, नकली फूल उसूल ।।

गुलशन सूने से लगें, भौंरे लगें उदास ।

नकली फूलों से भला, कब बुझती है प्यास ।।

मरीचिका सी जिन्दगी, यहाँ प्यास ही प्यास ।

पतझड़ के परिधान में, मुस्काता मधुमास ।।

अब कागज के फूल से, गुलशन है गुलज़ार ।

नकली फूलों का नहीं, मुरझाता संसार…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 2, 2022 at 10:01pm — 6 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
11 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service