For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाथ सोनांचली's Blog – October 2016 Archive (6)

अमन का चिराग

भड़की ज्वाला देश में, काप रहे हैं हाथ।

कैसे दीपक अब जले, बिना अमन के नाथ।।



कोई भूखा सो रहा, तन भी पड़ा उघार।

माता जिस्म पिला रही, कोशो दूर बहार।।



धर्म जाति में नर फसा, रचता रोज कुकर्म।

रक्त पिपासा बढ़ रही, बची नही है शर्म।।



फूलों में अब हे सखे!, फीकी पड़ी सुगन्ध।

जनमानस में घुल रही, नित बारूदी गंध।।



गूंज रही हर पल यहाँ, माताओं की चीख।

बिंदिया रोकर कह रही, कब लेंगे हम सीख?



आज मनुजता है दुखी, दानवता मद-चूर।

नित्य… Continue

Added by नाथ सोनांचली on October 31, 2016 at 8:58am — 7 Comments

जिन्दगी है जो सफर राह पे चलते रहिये

तरही गजल

बह्र* - 2122 1122 1122 22



जिन्दगी है जो सफर राह पे चलते रहिये,

वक्त के साथ भी अंदाज बदलते रहिये।



माँ पिता और हैं उस्ताद धरा पर जिनकी

नेह और ज्ञान की छाया में ही पलते रहिये।।



रिश्ते होते है सदा चाक की मिट्टी जैसे

आप चाहेंगे उसी रूप में ढलते रहिये।।



शह्र है एक अमन का, वो बनारस मेरा

प्यार सुख चैन जिधर चाहे निकलते रहिये।।



परवरिश में तो है अत्फ़ाल पे सख़्ती लाज़िम,

आँख में देख के आंसू न पिघलते… Continue

Added by नाथ सोनांचली on October 18, 2016 at 4:46am — 2 Comments

विजय पर्व का मूल

काम क्रोध तन में भरा, बढ़ा खूब व्यभिचार।

रावण अन्तस में लिए, घूम रहा संसार।।



काँटे ही ज्यादा यहाँ, और बहुत कम फूल।

सत्य अहिंसा प्रेम को, मनुज गया है भूल।।



राजनीति गंदी हुई, गुंडा करते राज

रामराज सपना हुआ, देख रहे हैं आज।।



साये में आतंक के, झूल रहा संसार।

नरता रही कराह है, गूँजे चीख पुकार।।



आज तिरस्कृत हो रही, नारी हर घर द्वार।

उरियानी के दौर में, फैला विषम विकार।।



सब्ज-बाग में फाँसकर, संसद पँहुचे चोर।

जाति धर्म… Continue

Added by नाथ सोनांचली on October 17, 2016 at 11:47am — 5 Comments

गजल- जो नेक दिल हो जमाना उसे सताता है

बह्र 1212 1122 1212 112/22



जो नेक दिल हो ज़माना उसे सताता है

मुसीबतों से मगर वो न बौखलाता है।



जवान हार से भी जीत खींच लाता है

जो हार मान ले मातम वही मनाता है।।



तुम्हारे साथ में गुज़रा हरेक पल जानम

हयात में वही रस्ता मुझे दिखाता है।।



वफा के नाम पे करता दगा अगर कोई

जहाँ में खुद का ही वह कब्र खोद जाता है।।



करम खुदा का हमें क्यों समझ नहीं आता

कभी हमे वो रुलाता कभी हँसाता है।।



फरेब दिल में हमेशा भरा हुआ… Continue

Added by नाथ सोनांचली on October 16, 2016 at 4:49pm — 5 Comments

गजल - अनमोल पल थे हाथ से सारे फिसल गये

221 2121 1221 212*



अनमोल पल थे हाथ से सारे फिसल गये

अपनों ने मुंह को फेर लिया दिन बदल गये।।



कुछ ख्वाब छूटे कुछ हुए पूरे, हुआ सफर

यादो के साथ साल महीने निकल गये।।



शरमा के मुस्कुरा के जो उनकी नजर झुकी

मदहोश हुस्न ने किया बस दिल मचल गये।।



बचपन के मस्त दिन भी हुआ करते थे कभी

बस्तो के बोझ आज वो बचपन कुचल गये।।



ओढे लिबास सादगी का भ्रष्ट तंत्र में

नेता गरीब के भी निवाले निगल गये।।



करते है बेजुबान को वो क़त्ल…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on October 10, 2016 at 5:30am — 22 Comments

तेरे आने से मेरा घर जगमगाया

तेरे आने से मेरा घर जगमगाया

पूर्णिमा का चंद्र जैसे मुस्कुराया



स्वांग रचकर रचयिता सबको नचाये

इस जगत को मंच इक अद्भुत बनाया



लाज कपड़ो में छुपाती थी कभी वो

आज उरियानी का कैसा दौर आया



आपदा जिसने न झेली जिन्दगी में

हौसलों की भी परख वो कर न पाया



पूछता दिल कटघरे में खुद को पाकर

इश्क ही क्यों हर कदम पे लड़खड़ाया



ज़िन्दगी भी पूछती है क्या बताऊँ

क्या मिला है और क्या मैं छोड़ आया



खोजती है हर नजर बस एक…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on October 8, 2016 at 2:00pm — 6 Comments

Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
8 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
11 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service