जो समझते हैं 
 वे जमे पड़े हैं ,
 ये ख्याल है उनका , 
 सच में तो वे 
 केवल पड़े हैं। .........1 .
छत पड़ी भी नहीं 
 और बुनियाद खिसक रही है , 
 वो महल बनाने चले थे 
 कितनों की झोपड़ी भी उजड़ गई , 
 लोग फिसल रहे हैं या उनके 
 पैरों के नीचे जमीन खिसक रही है। ......... 2 .
यूँ ही सफर में ही गुजर जाए , जिंदगी 
 अच्छा है , 
 जिनकी तलाश हो 
 वो मंजिलों पे मिला नहीं करते ll ......... 3 .
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2021 at 8:30pm — 13 Comments
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