For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Seemahari sharma's Blog – September 2014 Archive (6)

मंथर गति से.......

मंथर गति से



थमा नहि पल कोई सुहाना

बीत सदा जाता है।

मंथर गति से घट जीवन का

रीत सदा जाता है।



सींचा एक एक पौधा तब

वन उपवन लहराते।

अनजाने से सन्नाटे ये

चुपके चुपके आते।

बड़ा तिलस्मी मरूथल

पग पग

जीत सदा जाता है



अल सुबहा के स्वपन सजीले

दिन भर धूम मचाते।

ऊषा के स्वर्णिम चंचल रँग

साँझ ढले थक जाते।

श्याम निशा के रँग

से जीवन

भीत सदा जाता है

मंथर गति से घट जीवन का

रीत सदा जाता…

Continue

Added by seemahari sharma on September 30, 2014 at 2:00am — 16 Comments

काश मैं ऐसा कर पाती .....गीत

'काश मैं ऐसा कर पाती'



जाने अनजाने पीड़ा ,

जो दी थी मैने माँ को

सारे दुःख वो हर पाती

काश मैं ऐसा कर पाती।....



पाई सुरक्षा तन तेरे , माँ लहू से पोषण मिलता

मुझसे पीड़ा पाकर भी , मुखड़ा तेरा खिल उठता

उफ कितनी पीड़ा दी जब , जगती में मुझे था आना

भूल असह्य वेदना माँ , कहती थी मुख दिखलाना

माँ तेरा वह दिव्य रूप

मैं सदैव याद रख पाती।......काश..



आदत पड़ी पुरानी माँ , तुझसे सब कुछ पाने की

तेरा जीवन कैसा भी , है महिमा बस गाने… Continue

Added by seemahari sharma on September 28, 2014 at 1:30am — 21 Comments

गीत 'लो बरखा फिर आई'

गीत

-लो बरखा फिर आई-



बादल की झोली में भरकर

बिखराती जल लाई।

सुप्त प्राण में प्राण सींचने

लो बरखा फिर आई।



सूखे विटप तृप्त तन्मय अब

करते झुक अभिनन्दन।

झूम झूम उत्साहित हों ज्यों

गीत गा रहे वन्दन।

उष्ण अनल से तपे ग्रीष्म की

अब तो हुई बिदाई।...सुप्त प्राण....



तप्त दिवाकर ने झुलसाया

वन उपवन सब सूखे।

दरक रहा धरती का सीना

बिन तृण के सब भूखे।

मदमाते रिमझिम सावन ने

जग की पीर मिटाई।...सुप्त प्राण…

Continue

Added by seemahari sharma on September 18, 2014 at 9:00am — 7 Comments

गज़ल - मेरा पिता

है जहाँ में सदा तन के चलता पिता।

हँस दूँ इक बार में घोड़ा बनता पिता।

वो जगत का पिता ये है मेरा पिता।

नाम इससे लिया उसने लगता पिता।



दिन मिरे थे कभी बेफिकर वो सभी

मौज करता रहा कर्ज भरता पिता



इम्तहानों का जब भी पड़ा दौर है

नींद सोया कभी, रात जगता पिता



ठोकरें जब कभी भी लगीं हैं मुझे

दर्द मुझको हुआ आह भरता पिता



कब मेरे नाम से उसकी पहचान हो

ख्वाहिशें हैं सदा रब से करता पिता



देखता है पिता बढ़ रहा कद मिरा…

Continue

Added by seemahari sharma on September 15, 2014 at 7:00pm — 14 Comments

नवगीत. आओ यह संकल्प उठाएं

आओ यह संकल्प उठाएं*



आओ यह संकल्प उठाएं

सब मिल पर्यावरण बचाएं



जंगल सूने सूने लगते

साँसों में जो जीवनभरते

पेड़ काट घर रोज

सजाते,

पेड़ कहीं तो एक उगाएं

आओ यह संकल्प उठाएं



धरती को यूं बंजर न करें

प्रकृति के कोप से सभी डरें

सुन लें पुकार हम

धरनी की,

अब विष की ना बेल बिछाएं

आओ यह संकल्प उठाएं



और निकट संसृति के जाएं

हम पेड़ों को मित्र बनाएं

स्वस्थ सुगन्धित वायु

के तले,

पढ़ें लिखें औ… Continue

Added by seemahari sharma on September 14, 2014 at 1:35am — 2 Comments

हिंदी दिवस पखवाड़े पर एक नवगीत

संस्कृत बृज अवधी

से सुवासित,

मैं हिंदी हूँ हिन्द

की शान।

बीते सात दशक

आजादी,

अब तक क्यों ना

मिली पहचान।



दुनियाँ के सारे

देशों में,

मातृभाषा का प्रथम

स्थान।

उर्दू, आंग्ल, फ़ारसी

सबको,

आत्मसात कर दिया

है मान।

हिंदी दिवस मनाता

अब भी,

मेरा लाडला हिन्दुस्तान

बीते सात दशक......



मैं हूँ स्वामिनी अपने

घर की,

भाषा पराई करती

राज।

लज्जा आती मुझे

बोलकर,

इंगलिश…

Continue

Added by seemahari sharma on September 2, 2014 at 3:30pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
38 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
52 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
2 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
4 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service