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Dr Ashutosh Mishra's Blog – September 2017 Archive (3)

हुआ क्या आपको जो आप कहती बढ़ गयी धड़कन

अजब सी है जलन दिल में ये कैसी है मुझे तड़पन

उसे अहसास तो होगा बढ़ेगी दिल की जब धड़कन'

दिखा है जबसे उसकी आँखों में वीरान इक सहरा

मुझे क्या हो गया जाने कहीं लगता नहीं है मन

गले को घेर बाँहों से बदन करती कमाँ जब वो'

मुझे भी दर्द सा रहता मेरा भी टूटता है तन

वो रो लेती पिघल जाता हिमालय जैसा उसका गम

मगर सूरज के जैसे जलता रहता है मेरा तन मन

'नज़र मिलते ही मुझसे वो झुका लेते हैं यूँ गर्दन

ये मंज़र देख उठती है लहर…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2017 at 4:30pm — 14 Comments

घरोंदों को जलाया है किसी ने दोस्ती करके

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

घरोंदों को जलाया है किसी ने दोस्ती करके 

चिरागों को बुझाया है किसी ने दोस्ती करके 

सुकूं था जिसके जीवन में जिसे आती थी मीठी नींद 

उसे शब् भर जगाया है किसी ने दोस्ती करके 

जो दुश्मन था जमाने से जो प्यासा था लहू का ही 

उसी को अब बचाया है किसी ने दोस्ती करके 

अँधेरे में मेरा साया हुआ कुछ इस तरह से गुम

ज्यूँ रिश्ता हर भुलाया है किसी ने दोस्ती करके 

फकीरों की तरह जीता, था खुश तन्हाई…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on September 8, 2017 at 5:27pm — 5 Comments

पूर्वजों की विरासत

हे महान पूर्वजों गर्व करो

हम निखार रहे हैं

वो तमाम सम्पदा

जो सौंपी थी तुमने, हमें बिरासत में...

बहुत घने हो गए थे जंगल

खो जाते थे बेश- कीमती हांथी दांत

गल जाती थी शेर की खाल

हो जाता था सदैव

तुम्हारी सम्पदा का नुक्सान,

सहन नहीं होता था ये हमसे

इसलिए मार दिए हमने हांथी और शेर

काट दिए जंगल,

बना लिए सोफे, बेड, ड्रेसिंग टेबल और मकान,

इनपे बैठे , लेटे अपना चेहरा जब भी संवारते हैं

मकान में सजे हांथी दांत और शेर की खाल ,

पूरी… Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on September 5, 2017 at 11:47am — 2 Comments

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