विश्वास के सतूने जब कमज़ोर होते हैं तो आस्था का शामियाना गिर ही जाता
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हमारे घर का एक कोना फिर से पूजा स्थल के रूप में तब्दील हो गया और मेरी पत्नी ने एक निस्सहाय धर्म-केन्द्रित याचिका का रूप ले लिया. घर की मुश्किलात जैसे जैसे बढ़ती गईं, वैसे वैसे पत्नी की आध्यात्मिकता ने धार्मिक आचरणों, अर्चनाओं, उपवासों इत्यादि का रुख कर लिया. भविष्य वाचकों की भविष्यवानियाँ सुनी जाने लगीं और ग्रह…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on September 23, 2017 at 5:30pm — 4 Comments
बहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन: 2122 2122 2122 2122
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है जिगर में कुछ पहाड़ों सा, पिघलना चाहता है
मौसम-ए-दिल हो चुका कुहना बदलना चाहता है
छोड़कर सब ही गये ख़ाली है दिल का आशियाना
अश्क़ बन कर तू भी आँखों से निकलना चाहता है
चोट खाकर दर्द सह कर बेदर-ओ-दीवार होकर
दिल तेरी नज़र-ए-तग़ाफ़ुल में ही जलना…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on September 7, 2017 at 5:30pm — 19 Comments
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