For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी's Blog – September 2013 Archive (4)

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने-६९ (तरुणावस्था-१६)

(आज से करीब ३१ साल पहले: साहित्य और आध्यात्म)

 

मैट्रिक की परीक्षा शेष होने के बाद के खालीपन में मैं अक्सरहा या तो हिंदी साहित्य की किताबे पढ़ने लगा हूँ या अध्यात्म की. दोनों ही तरह की किताबों की कोई कमी नहीं है हमारे घर में. ये मुझे मेरे नाना, मेरे पिता, मेरे मंझले चाचा, एवं मेरे बड़े भाई जो मुझसे उम्र में करीब १३-१४ साल बड़े हैं, से विरासत में मिली हैं. साहित्य में जहां टैगोर, शरतचंद्र, प्रेमचंद्र, टॉमस हार्डी जैसे कथाकारों की किताबें भरी पडी हैं वहीं अध्यात्म एवं दर्शन में…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 15, 2013 at 10:00pm — 8 Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने-६८ (तरुणावस्था-१५): रेल से आंध्रा का सफ़र

(आज से करीब ३१ साल पहले)

किसी उदास दिन, किसी खामोश शाम, और किसी नीरव रात सा ये सफ़र मुझे बेचैन कर गया. रेल सरपट भागी जा रही थी और नज़ारे, खेत और खलिहान पीछे. दोपहर की वीरानगी में स्त्री-पुरुषों के साथ बच्चों को खेतों पे काम करते देख मन अजीब पीड़ा से भरता जा रहा था. गाड़ी भागती जा रही थी मगर बंजर दिखते खेत और पठारी एवं असमतल भूमि का कहीं अंत नहीं दिख रहा था. बैल हल का जुआ कंधे पे थामे, किसान अरउआ हाथ में पकड़े, औरतें और बालाएं हाथ में हंसिया लिए झुकी कमर, खामोशी, और निस्तब्धता…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 11, 2013 at 4:51pm — 6 Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने-६७ (तरुणावस्था-१४): किताबों के संग

(आज से करीब ३१ साल पहले)

आज का दिन किताबों के साथ बीत गया. इतनी जल्दी मानो मेरी गति घड़ी के काँटों से भी तीव्रतर थी. शरतचंद्र की उपन्यासिका ‘बिराज बहु’ को आद्योपांत पढ़ने के दौरान मैं समय की हिमावर्त सडकों पे असहाय फिसलता गया. इस कृति ने मेरे मर्म को छू लिया था.

 

बिराजबहू उपन्यास की मुख्य पात्रा है जिसे लेखक ने अपनी जीवंत लेखनी के माध्यम से अत्यंत सशक्त और स्वाभाविक ढांचे में ढाला है. पात्रों के अंतर्संघर्ष में मुझे अपने ही समाज की असंगतियों, मानवीय भावनाओं,…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 7, 2013 at 7:00am — No Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ६३-६६ (तरुणावस्था-१० से १३)

(आज से करीब ३१ साल पहले)

 

शनिवार, २७/०३/१९८२, नवादा, बिहार: एक मोड़

--------------------------------------------------------

आज हम सभी साथियों की खुशी किसी सीमा में बांधे नहीं बाँध रही है. आज हम सभी सुबह से ही उस घड़ी की प्रतीक्षा में हैं जब हम मैट्रिक की संस्कृत के द्वीतीय पत्र की परीक्षा दे परीक्षा-भवन से आख़िरी बार निकालेंगे.

 

हमारे मैट्रिक इम्तेहान का सेंटर नवादा मुख्यालय से २९ किमी दूर रजौली कसबे के एक सरकारी स्कूल में रखा गया था. मैं और मुझसे…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 2, 2013 at 11:07am — 7 Comments

Monthly Archives

2019

2018

2017

2016

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
23 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service