Added by S.S Dipu on August 17, 2015 at 1:30am — 8 Comments
Added by S.S Dipu on August 11, 2015 at 5:58pm — 3 Comments
Added by S.S Dipu on August 10, 2015 at 8:47pm — 6 Comments
Added by S.S Dipu on August 5, 2015 at 7:04pm — 2 Comments
मोम के पिघलने का
सदियों से रहा है दस्तूर
कोई पत्थर अब पिघला दे
तो कोई बात बने
ऐसा भी नही
कि हर शाम हो हसीन
धूप पर पानी छिड़क
तो कोई बात बने
लड़खड़ाकर मन्दिर का
दिया करता है रोशन
घर के परदे को सिल
तो कोई बात बने
.
मौलिक व अप्रकाशित"
Added by S.S Dipu on August 3, 2015 at 9:00pm — 11 Comments
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