For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rash Bihari Ravi's Blog – August 2010 Archive (16)

वो जमाना याद हैं तेरा बन ठन के आना याद हैं ,

वो जमाना याद हैं तेरा बन ठन के आना याद हैं ,

नहीं कटती थी छन मेरे बिना तेरा ये कहना याद हैं ,



साम को मिलते हो जाती थी रात यु ही बातो में ,

नहीं लगता था ये दुरी होगी अपनी मुलाकातो में ,



तेरी वादा वो सारी कसमे टीस देती हैं यादो में ,

तड़प रहा हु मैं रिम झिम रिम झिम भादो में ,



तेरे संग जो देखि बहारें आज ओ पतझर लगती हैं ,

तेरे संग बीते लम्हे आज हमको यु ही डसती हैं ,



करो तू मुझपे मेहरबानी मेरी यादो से चली जाओ ,

अब आई जो तेरी यादें… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 31, 2010 at 8:30pm — No Comments

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामना ,

सुनो सुनो एक बात हमारी,

राधा किशन की हैं प्रेम कहानी ,

एक बार निकली राधा बन ठन के ,

सर पे दही साथ सखियन के ,

रास्ते में श्याम मिला की उनसे जोड़ा जोड़ी ,

राधा को उसने छेड़ा सखियो को यू ही छोड़ी ,

सुनो सुनो एक बात हमारी,

राधा किशन की हैं प्रेम कहानी ,

बंशी की तान बिना रहती परेशान ओ ,

सुनती जो तान ओ खो देती ज्ञान ओ ,

उनको भी कभी ना रहता था चैन ,

मौका मिले सखी सब को करते बेचैन ,

सुनो सुनो एक बात हमारी,

राधा किशन की हैं प्रेम कहानी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 31, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

क्यों आखिर हम क्यों सहे , अपने तिरंगा का अपमान ,

क्यों आखिर हम क्यों सहे ,

अपने तिरंगा का अपमान ,

भाई आप लोग छोर दो ,

तिरंगा पार्टी हित बेवहार ,

कही पड़ा रहता हैं ये ,

एक छोटे डंडे के साथ ,

उसपे कोई तस्बीर होती हैं ,

फुल होती हैं या हाथ ,

मगर समझ में तब आता हैं ,

जब जाते हैं हम पास ,

ओह तिरंगा नहीं हैं अपना ,

ऐसा सोच होता उसका अपमान ,

क्यों आखिर हम क्यों सहे ,

अपने तिरंगा का अपमान ,

अरे ओ बुधजिवी ध्यान तो दो ,

आपमान करो ना तिरंगे का ,

देश हित में बदल दे अपना… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 30, 2010 at 2:00pm — No Comments

मन के बाते मान कर करना तू सब काम ,

मन की बाते मान कर करना तू सब काम ,

मन पे तू जो छोड़ेगा माया मिलेगी या राम ,



मय के चक्कर में पड़ा हैं सारा ये संसार ,

मय तो ऐसी डायन हैं जो कर देगी बेकार ,



माँ बाप को छोड़ कर जो बने ससुराल की शान ,

उसकी हालत ऐसी होए जैसे कुकुर समान ,



मेरी बात जो बुरी लगे लेना गांठ तू बांध ,

काम वो कभी ना करना जिससे हो अपमान ,



पैसे के पीछे सभी भागे पैसा बना अनमोल ,

रिश्ता नाता ख़त्म हुआ अब हैं पैसों का बोल ,



नेता लोग को हम चुन दिए… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 30, 2010 at 1:30pm — 1 Comment

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

तेरे चाह में पड़ कर हमने ये क्या कर डाला ,

घर में बच्चे भूखे सो गए चल रहा हैं प्याला ,

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,



रोज कमाए रोज उड़ाये खाली हाथ घर को जाये ,

बीबी जब कुछ पूछे तो भईया जोर का चाटा खाये ,

सिलसिला यह चल रहा हैं नहीं अब रुकने वाला ,

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,



दोस्तों की दोस्ती से यारो है यह शुरू होती ,

शौक से आगे बढती फिर आदत का रुप यह लेती ,

क्या बतलाऊ इसने तो… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 26, 2010 at 4:00pm — 6 Comments

जो सपना चकनाचूर करे ,

प्लेविन एक ऐसा सपना ,

जो सपने चकनाचूर करे ,

इंसान को इंसान ना रहने दे ,

गलती को मजबूर करे ,

जो लेकर आये,

वो कभी वापस ना जाये ,

जो गए उसे पाने के लिए,

और लगाये और लगाये,

दिन पर दिन फटहाली,

और कंगाली छाये ,

जो इसके चक्कर में पड़े,

वो कही का ना रहे,

काम में भी मन न लगे,

अपनों से भी दूर करे ,

दोस्तों आप से गुजारिश हैं ,

सपने देखो मगर ऐसा नहीं,

चलो आप एक काम करो,

हर एक से ये बात कहो ,

उस प्लेविन से मुख… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 25, 2010 at 6:00pm — 2 Comments

धन्य हो प्रभु चिदंबरम ,

धन्य हो प्रभु चिदंबरम ,

धन्य है आपकी सोच ,

जल रहा सारा भारत ,

आपका यही हैं खोज ,

कश्मीर से कन्याकुमारी तक ,

लोग जर्जर करते आज ,

आपको केवल दिख रहा हैं ,

भगवा आतंकबाद ,

धन्य हो प्रभु चिदंबरम ,

धन्य है आपकी सोच ,

आपको कुछ नहीं देखना चाहते ,

या आपको कुछ नहीं हैं याद,

अफजल गुरु मेहमान बना हैं ,

कसाब मुफ्त का खा रहा हैं

कानून बनावो सीधे फासी ,

चाहे कोई हो आतंकबादी ,

आप हो हमारे गृहमंत्री ,

लावो खुद में ओज ,

धन्य… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 25, 2010 at 3:36pm — 2 Comments

राखी आकर चली गई ,

राखी आकर चली गई ,

कही मस्ती छाई ,

चली खूब मिठाई ,

बहना ने भाई की ,

कलाई पे बांधी !!



कहीं ये ख़ुशी दे गई ,

और कही गम का गुबार

देकर चली गई !!



अब एक दो रूपये में ,

राखी मिलती नहीं ,

दुखहरण के बेटी बुधिया के पास ,

चावल खरीदने के बाद,

पांच रुपये का सिक्का बचा ,

दाल की जगह ,

खरीद ली राखी ,

मिठाई के नाम पर ,

लिया बताशा

बाह रे दुनिया वाले ,

कैसा अजब तमाशा ,

तेरी कुदरत

कहीं हंसा गई

कहीं… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 24, 2010 at 3:00pm — 2 Comments

इशारे गरीब के ,

नेता जी ,
चुनाव के मौसम में
होते हैं ,
लोगो के ,
बहुत ही करीब के
और वह अक्सर ,
समझ जाते हैं ,
इशारे गरीब के,
जिन्हें नसीब न हुई थी ,
मुद्दतों से ,
सूखी रोटिया,
अब बाँट रहे हैं उनको,
दारू और बोटियाँ ,
और ले जाते हैं
उनकी वोट ,
बन कर करीब के ,
यूं समझते हैं वो
इशारे गरीब के

Added by Rash Bihari Ravi on August 23, 2010 at 7:30pm — 1 Comment

कौन कहता हैं हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं

कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं,

नहीं विश्वास तो मल्टीप्लेक्स पर देखिये,

भीड़ लगी रहती टिकट सौ के करीब हैं ,

कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,



ट्रेनों में अक्सर आरक्षण फुल रहता हैं ,

अग्रिम पश्चात स्कार्पियो महीनो बाद मिलता हैं ,

हर किसी के पास पैसा बनाने की तरकीब हैं ,

कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,



शराब की दुकानें लोगो से भरी रहती हैं ,

हवाई जहाज में भी सीट नहीं मिलती हैं ,

पेपर पर राष्ट्र हमारा उन्नति के करीब… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 23, 2010 at 3:00pm — 3 Comments

रक्तबीज

चंडी रूप धारण किए

आँखों में दहकते शोले लिए

मुख से ज्वालामुखी का लावा उगलती

बीच सड़क में

ना जाने वह किसे और क्यों

लगातार कोसे जा रही थी

सड़क पर आने जाने वाले सभी

उस अग्निकुंड की तपिश से

दामन बचा बचा कर निकल रहे थे

ना जाने क्यों सहसा ही .....

मुझ में साहस का संचार हुआ

मैंने पूछ ही लिया

बहना....,

क्या माजरा है ?

क्यों बीच सड़क में धधक रही हो ?

उसकी ज्वाला भरी आँखों से

गंगा यमुना की धार बह निकली

रुंधे गले से उसका दर्द… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 23, 2010 at 2:30pm — 15 Comments

डॉन फ्रेजर तू उसी आस्ट्रेलिया की हैं ,

डॉन फ्रेजर तू उसी आस्ट्रेलिया की हैं ,
जो भारतीयों पर आतंकियों सा हमला करते हैं ,
तुम्हारे देश वाले शर्म से क्यों नहीं मरते हैं ,
शर्म हो तो फिर आवाज मत उठाना ,
तू बहिस्कार की बात करती हैं ,
मैं कहता हु तुम जैसे कायरो की जरुरत नहीं हैं ,
हिंदुस्तान अतिथियो को भगवान मानता हैं ,
तुम जैसे कायरो को दूर से सलाम करता हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on August 19, 2010 at 4:30pm — 2 Comments

लुट सको तो लुट लो ,

वाह रे हिंद के लोकतंत्र ,

सब कुछ दिखा दिया ,

तेरे प्रतिनिधियों में भी ,

अब दिखने लगी एकता ,

हम सब समझते हैं,

कारण ?

लुट सको तो लुट लो ,

सदन में जो एक दुसरे को ,

बोलने नहीं देते ,

बच्चो सा लड़ते ,

मूर्खो सा हरकत करते ,

आज है हाथ मिलाते,

कारण ?

लुट सको तो लुट लो ,

वेतन की बात अच्छी हैं ,

सचिव से ज्यादा चाहिए ,

हम इसकी पहल करेंगे ,

मगर इमानदार बन के दिखाइए ,

आते फकीर, बन जाते अमीर,

कारण ?

लुट सको तो… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 19, 2010 at 4:00pm — 6 Comments

और मैं कराहती रही

लूटो ..

कितना लूटोगे ???

अब तक कितनो ने लूटा ,

मगर

दुःख नहीं हुआ ,

कारण ???

मुग़ल बाहर से आये थे ,

अंग्रेज भी बाहर वाले थे ,

वो लूटते रहे ,

और मेरे अपनों को,

लूट में सहयोगी बनाते रहे ,

और मैं कराहती रही !!,

मगर तब भी उतना दुःख नहीं हुआ ,

जो अब होता हैं ,

मगर

तुम तो मुगलों और अंग्रेजो से भी ,

दो कदम आगे निकले ,

लूटो !!!

मगर तुम्हे धिक्कार हैं ,

अपनी माँ को भी नहीं छोड़ा,

अब कभी पैदा नहीं करुँगी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 13, 2010 at 8:00pm — No Comments

मैं आठवीं सूची का भूखा नहीं हूँ ,,

क्या समझते हो ,

मैं थक के हार के ,

बैठ जाऊंगा ,

ये सोच जो हैं आपकी ,

इसे गलत साबित कर दूंगा ,

मैं हूँ भोजपुरी पुत्र ,

भोजपुरिया ,

और मैं दहाड़ता रहूँगा ,

चाहे आप मानो या ना मानो

मुझे भाषा ,

मैं आपके सीने पे चिंघाड़ता रहूँगा ,

कब तक मिटाते रहोगे मुझको ,

अपने सदन पटल से ,

अरे बेशर्मो ,

मुझे चाहने वाले....

हिंदुस्तान में हिंदी के बाद ,

सबसे ज्यादा हैं ,

मैंने ही दिया था राजेंद्र बाबु को ,

जिसका तुम गुणगान… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 13, 2010 at 7:00pm — 3 Comments

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

सोहराबुदीन कौन था जिसको दिए सब मिटाए ,

कोई कहता था आतंकबादी था वो बड़ा हठीला ,

किया क्यों उसके कारण मुश्किल किसी का जीना ,

मर गया तो मिट गई बाते क्यों उल्टी हवा बहाए ,

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

जो ऐसा काम किया क्यों उसे सूली पे चढाते हो ,

अफजल गुरु को जो बचाए उसको सलाम बजाते हो ,

जागो हिंद के जागो भाई करो उसको सलाम ,

जो इस तरफ के कालिख पोतो के काम करे तमाम ,

सिद्ध हुआ था आतंकबादी मारे तो तगमा… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 2, 2010 at 2:00pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service