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Coontee mukerji's Blog – July 2014 Archive (1)

वह लड़की

वह लड़की!

मैं उसे बदलना चाहती थी

उसे पुराने खोह से निकालकर

पहनाना चाहती थी एक नया आवरण.

उसके बाल लम्बे होते थे

अरण्डी के तेल से चुपड़ी

भारी गंध से बोझिल

वह ढीली-ढाली सलवार पहनती थी

वह उस में नाड़ा लगाती थी

उसके नाखून होते थे मेँहदी से काले

एकाध बार सफ़ेद किनारा भी दिख जाता.

वह चलती थी सर झुकाये.

वह चुप रहती

मगर....उसके मन में सागर की लहरों

का सा होता घोर गर्जन.

आँखों में हरदम एक तूफ़ान लरजता

उसकी…

Continue

Added by coontee mukerji on July 22, 2014 at 9:12pm — 10 Comments

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