जनाब बशीर बद्र साहब की ग़ज़ल "ख़ुदा मुझको ऐसी ख़ुदाई न दे" की ज़मीन पे लिखी ये ग़ज़ल.
122 122 122 12
ख़ुदा ग़र तू ग़म से रिहाई न दे
तो साँसों की मीठी दवाई न दे
भले अपनी सारी ख़ुदाई न दे
किसी को भी माँ की जुदाई न दे
मैं मर जाऊँ मिट जाऊँ हो जाऊँ ख़ाक़
मगर मुझको ख़ू ए गदाई न दे
तू रख सब असागिर को दुख से अलग
तू कोई भी…
Added by राज़ नवादवी on July 5, 2018 at 10:30am — 5 Comments
2122 2122 2122 212
जो नहीं मँझधार में थे, साहिलों के पास थे
मुद्दतों से पाँव उनके दलदलों के पास थे
जीत के सारे हुनर तो हौसलों के पास थे
पैतरे ही थे फ़क़त जो बुज़दिलों के पास थे
मैं कहाँ चूका बता इस ज़िंदगी की दौड़ में
लोग जो दौड़े नहीं वो मंज़िलों के पास थे
बर्क़ ने कुछ न बिगाड़ा जो थे ज़ेरे आसमाँ
वो परिंदे मर गये जो…
Added by राज़ नवादवी on July 1, 2018 at 6:30pm — 9 Comments
1212 1212 1212 1212
दिलों की आग बुझ गई, जिगर में अब धुआँ नहीं
कि तुम भी अब जवाँ नहीं, कि हम भी अब जवाँ नहीं
सितारे गुम हुए सभी, रुपहली कहकशाँ नहीं
ज़मीने दिल पे अब तेरी वफ़ा का आसमाँ नहीं
सफ़र भी ज़िंदगानी का हुआ कभी अयाँ नहीं
जहाँ पे रहगुज़र मिली वहाँ पे कारवाँ नहीं
वो मुझसे बोलता नहीं, वो मुझसे सरगिराँ नहीं
वफ़ा की आग क्या…
Added by राज़ नवादवी on July 1, 2018 at 6:00pm — 16 Comments
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