For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Meena Pathak's Blog – June 2014 Archive (6)

हाइकू

अहंकार ना

कभी आ जाये हमें

दिन न आये |

 

मनमोहन

छेड़े बंसी की तान

झूमती आऊं |

 

तनहा तुम

देगा न कोई साथ

खयाल रहे |

प्रकृति हमें

देती सब संपदा

लगाएं वृक्ष |

 

समेट रही

आँचल में अपने

पुष्प बिखरे |

         

अजनबी हम

चलते रहे साथ

इक दूजे के |

 

माता का हाथ

रहे सदैव माथ 

धन्य जीवन |

 

पारिजात…

Continue

Added by Meena Pathak on June 30, 2014 at 5:24pm — 17 Comments

दोहे --मीना पाठक

हे भगवन वर दीजिए, रहे सुखी संसार |
घर परिवार समाज पे, बरसे कृपा अपार ||


दीन दुखी कोई न हो, ना सूखे की मार |
अम्बर बरसे प्रेम से, भरे अन्न भण्डार ||

कृपा करो हे शारदे, बढ़े कलम की धार |
अक्षर चमके दूर से, शब्द मिले भरमार ||

बेटी सदन की लक्ष्मी, मिले उसे सम्मान |
रोती जिस घर में बहू, होती विपत निधान ||

मीना पाठक 
मौलिक अप्रकाशित 

(दोहों पर एक छोटा सा प्रयास है )

Added by Meena Pathak on June 25, 2014 at 12:00pm — 27 Comments

कुण्डलिया छन्द -- (पहला प्रयास )

लग कर छाती से हुए, बडे और बलवान
निज जननी के सामने, ठाडे सीना तान
ठाडे सीना तान , लाज आये ना उनको
बेशर्मी ली लाद , न भाये अपने मन को
आहत है माँ खूब, दुखी रातों में जगकर
चूसे मां का खून , पले जो छाती लगकर ||

मीना पाठक 
मौलिक अप्रकाशित 

Added by Meena Pathak on June 21, 2014 at 11:13pm — 17 Comments

चलो एक वृक्ष लगाएँ !

चलो एक वृक्ष लगाएं

करें पुण्य का काम

जो दे हम सब को

जीवन भर आराम

चलो एक वृक्ष लगाएं |



धरती माँ का गहना है ये

है ये उनका रूप श्रृंगार

पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा

देता हमको जीवन दान

चलो एक वृक्ष लगाएं |



बरगद, पीपल, नीम, पाकड़

तुलसी, अक्षय, पारिजात

ये सब है उपहार प्रकृति का

मिला है सबको एक समान

चलो एक वृक्ष लगाएं |



जल का संग्रह करना है अब

सोच लें गर हम सब इक बार

वर्षा जल संचित कर के हम…

Continue

Added by Meena Pathak on June 20, 2014 at 8:30am — 13 Comments

मेरे लाल भूल न जाना ये बात !!

मेरे बच्चे !!

खुश रहो तुम हरदम

न आये जीवन में तुम्हारे कोई गम

हो माँ शारदे की अनुकम्पा

भरपूर हो स्वास्थ, संपदा,

पर मेरे बच्चे, याद रखना हमेशा

जीवन में एक अच्छा इंसान बनना

साथ तुम्हारे चले जो जीवन पथ पर

करना उसका भी आदर

बहे न कभी तुम्हारे कारण

उसकी आँख का काजल,

करना न तुम कभी प्रकृति का दोहन

लेना उससे उतना ही जितनी हो जरुरत

अंत में है मेरा आशीर्वाद !

घर-परिवार, समाज, राष्ट्र

हर जगह हो तुम्हारा ऊँचा नाम

मेरे लाल…

Continue

Added by Meena Pathak on June 11, 2014 at 1:59am — 19 Comments

नदी

         

वो नदी जो गिरि

कन्दराओं से निकल

पत्थरों के बीच से

बनाती राह

 

कितनो की मैल धोते

कितने शव आँचल मे लपेटे

अन्दर कोलाहल समेटे

अपने पथ पर,

 

कोई पत्थर मार

सीना चीर देता 

कोई भारी चप्पुओं से

छाती पर करता प्रहार

लगातार,

 

सब सहती हुई

राह दिखाती राही को

तृप्त करती तृषा सब की

अग्रसर रहती अनवरत

तब तक, जब तक खो न…

Continue

Added by Meena Pathak on June 4, 2014 at 12:58pm — 22 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service