For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे --मीना पाठक

हे भगवन वर दीजिए, रहे सुखी संसार |
घर परिवार समाज पे, बरसे कृपा अपार ||


दीन दुखी कोई न हो, ना सूखे की मार |
अम्बर बरसे प्रेम से, भरे अन्न भण्डार ||

कृपा करो हे शारदे, बढ़े कलम की धार |
अक्षर चमके दूर से, शब्द मिले भरमार ||

बेटी सदन की लक्ष्मी, मिले उसे सम्मान |
रोती जिस घर में बहू, होती विपत निधान ||

मीना पाठक 
मौलिक अप्रकाशित 

(दोहों पर एक छोटा सा प्रयास है )

Views: 905

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on July 12, 2014 at 6:34pm

आदरणीय सौरभ सर ..आदरणीया प्राची जी ..आदरणीय जवाहर लाल जी..आदरणीय गिरिराज जी व प्रिय वेदिका आप सभी का हृदय से आभार | आप सभी के मार्गदर्शन से दोहों की त्रुटियों को सुधारने का प्रयास कर रही हूँ | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 3:48am

बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है, आदरणीया. सुझावों को अवश्य हृदयंगम करें

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2014 at 4:23pm

दोहा प्रयास पर हार्दिक बधाई आदरणीया मीना जी ... शिल्प पर टिप्पणियों में सार्थक सुझाव मिले हैं उनपर ध्यान अवश्य ही दें 

शुभकामनाएं 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 29, 2014 at 7:22pm

कृपा करो हे शारदे, बढ़े कलम की धार | 
अक्षर चमके दूर से, शब्द मिले भरमार ||

यह कृपा हम सब पर भी बरसे!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 29, 2014 at 10:41am

आदरनीया मीना जी , आपके दोहों मे सब के लिये मंगल कामना देख के बहुत अच्छा लगा । दोहावलि के लिये आपको बधाई ।

Comment by वेदिका on June 28, 2014 at 8:49pm

आपका प्रथम प्रयास तो बहुत प्रशंसनीय है दीदी! ढेरों बधाई इस सत्कर्म के लिए|

'सुक्ख' का प्रयोग तो सही नही है, जैसा कि आ० गोपाल जी भी कह चुके हैं| एवं उनके द्वारा बताया हुआ विकल्प "कृपा"  भी उत्तम है| 

सादर !! 

Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:41pm

आदरणीय नादिर खान जी बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:40pm

आदरणीया कुन्ती दी .. आदरणीया  प्रग्या जी ..आदरणीय आशुतोष जी ..आदरणीय लक्ष्मण जी ..प्रिय जितेन्द्र जी आप सभी का हृदयतल से आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:37pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी आप बेधड़क कहें , अन्यथा क्यों लूँगी ..आप के  सुझाव और मार्गदर्शन के बिना नहीं सीख सकूंगी .. बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:34pm

आदरणीय शिज्जू जी कृपया आप क्षमा ना मांगे मेरा मार्गदर्शन करें मुझे अच्छा लगेगा ,,आप सही कह रहे हैं .. ठीक करती हूँ मै ..त्रुटियों की तरफ़ इंगित करने हेतु बहुत बहुत आभार आप का | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service