For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – May 2021 Archive (6)

करने को नित्य पाप जो-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२



करने को नित्य  पाप  जो  गंगा नहायेंगे

हम से अधिक न यार कभी पुण्य पायेंगे।१।

**

तन के धुलेंगे पाप न पावन जो मन हुआ

अंतस में ग्लानि होगी तो गंगा को आयेंगे।२।

**

कोसेेंगे एक दिन तो स्वयं अपने आप को

अपनी नजर से बोलिए क्या क्या छिपायेंगे।३।

**

हम को भले ही भाव न तुम दो अभी मगर

घन्टी बजा कलम  से  तो  हम ही जगायेंगे।४।

**

जिनको शऊर आया न दीपक जलाने का

कहते  हैं  रोशनी  को  वो  सूरज  उगायेंगे।५।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 31, 2021 at 10:00am — 8 Comments

कोई बिका तो लाया है कोई खरीद कर -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

कोई बिका तो लाया है कोई खरीद कर

दुनिया में आज हो रही शादी खरीद कर।१।

**

हम हर गली या चौक पे चर्चा में व्यस्त हैं

लाला चलाता  देश  है  खादी खरीद कर।२।

**

पाया अधिक तो हो गया दुश्मन की ओर ही

किसका हुआ  वकील  है  वादी खरीद कर।३।

**

रखता बचा के  कौन से जीवन के हेतु वो

बच्चों को लोभी देता न टाफी खरीद कर।४।

**

खुद खाके भूख माँ ने खिलाया था कौर इक

कमतर उसे जो दें  भी  तो  रोटी खरीद कर।५।

**

कर्मों से जो…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 30, 2021 at 10:05am — 4 Comments

आँसू हमारी आँखों में लाने का शुक्रिया-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२



मीठी सी बात कर के लुभाने का शुक्रिया

फिर गीत ये विकास के गाने का शुक्रिया।१।

***

हमको दुखों से एक भी शिकवा नहीं भले

होते हैं सुख के दिन ये बताने का शुक्रिया।२।

**

वादे सियासती  ही  सही  हम को भा गये

फिर से दिलों में आस जगाने का शुक्रिया।३।

**

खातिर भले ही वोट की आये हो गाँव तक

यूँ पाँच साल  बाद  भी  आने  का शुक्रिया।४।

**

पथरा गयीं थी देखते पथ ये तुम्हारा जो

आँसू हमारी आँखों में लाने का शुक्रिया।५।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 27, 2021 at 8:15pm — 6 Comments

हवा भी दिलजली होगी-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२२/१२२२



जहाँ पर रोशनी होगी

वहीं पर तीरगी होगी।१।

*

गले तो  मौत  के लग लें

खफ़ा पर जिन्दगी होगी।२।

*

निशा  आयेगी  पहलू  में

किरण जब सो रही होगी।३।

*

उबासी  छोड़  दी  उस ने

यहाँ  कब  ताजगी  होगी।४।

*

धुएँ के साथ विष घुलता

हवा भी दिलजली होगी।५।

*

कली जो खिलने बैठी है

मुहब्बत  में   पगी  होगी।६।

*

न आया  साँझ  को बेटा

निशा भर माँ जगी होगी।७।…

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2021 at 7:36am — 3 Comments

मातृ दिवस पर ताजातरीन गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२



नौ माह जिसने कोख में पाला सँभाल कर

आये जो गोद  में  तो  उछाला सँभाल कर।१।

*

कोई  बुरी  निगाह  न  पलभर  असर  करे

काजल हमारी आँखों में डाला सँभाल कर।२।

*

बरतन घरों के  माज  के पाया जहाँ कहीं

लायी बचा के आधा निवाला सँभाल कर।३।

*

सोये अगर  तो  हाल  भी  चुप के से जानने

हाथों का रक्खा रोज ही आला सँभाल कर।४।

*

माँ ही थी जिसने प्यार से सँस्कार दे के यूँ

घर को बनाया  एक  शिवाला सँभाल कर।५।

*

सुख दुख में राह देता…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 9, 2021 at 6:59am — 10 Comments

जो पेड़ शूल वाले थे-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२



किस्मत कहें न कैसे सँवारी गयी बहुत

हर दिन नजर हमारी उतारी गयी बहुत।१।

*

जो पेड़ शूल  वाले  थे  मट्ठे से सींचकर

पत्थर को चोट फूल से मारी गयी बहुत।२।

*

भूले से अपनी ओर  न  आँखें उठाए वो

जो शय बहुत बुरी थी दुलारी गयी बहुत।३।

*

धनवान मौका  मार  के  ऊँचा चढ़ा मगर

निर्धन के हाथ आ के भी बारी गयी बहुत।४।

*

बेटी का ब्याह शान से करने को बिक गये

ऐसे भी  बाजी  मान  की …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 1, 2021 at 9:25pm — No Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
29 seconds ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
6 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
28 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
39 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service