For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Blog – May 2015 Archive (4)

अतुकांत कविता का चरित्र

एक कविता सुनाता हूँ –

 

“पीडाओं के आकाश से  

चरमराती टहनियां

मरुस्थल की आकाश गंगा

की खोज में जाती हैं

धुर दक्षिण में अंटार्कटिक तक

जहाँ जंगलों में तोते सुनते हैं

भूकंप की आहट

और चमगादड़ सूरज को गोद में ले

पेड़ से उछलते है

खेलते है साक्सर

और पाताल की नीहरिकायें

जार –जार रोती हैं

मानो रवीन्द्र संगीत का

सारा भार ढोती हैं

उनके ही कन्धों पर

युग का…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2015 at 1:30pm — 8 Comments

ग्रीष्म प्रभाव

चकोर सवैया (7 भगण +गुरु लघु )          23 वर्ण

 

चाबुक खा कर भी न चला अरुझाय गया सब घोटक साज 

अश्व अड़ा पथ बीच खड़ा न मुड़ा न टरा अटका बिन काज

सोच रहा  मन में असवार  यहाँ इसमे कछु है  अब राज

बेदम है यह ग्रीष्म प्रभाव चले जब सद्य मिले जल आज 

मत्तगयन्द (मालती) सवैया (7 भगण + 2 गुरु)   23 वर्ण

 

बीत बसंत गयो जब से  सखि तेज प्रभाकर ने हठि…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 21, 2015 at 9:17pm — 5 Comments

अस्मिता-बोध (कहानी ) -डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

      प्रथम श्रेणी के रिजर्व कोच में अपनी नव परिणीता पत्नी को लाल जोड़े में लिपटी देखकर भी मैं उस एकांत में बहुत खुश नहीं था I नए जीवन की वह काली सर्द रात जो उस रेलवे कम्पार्टमेंट में थोड़ी देर के लिए मानो ठहर सी गयी थी I मेरे लिए नया सुख, नयी अनुभूति और नया रोमांच लेकर आयी थी I फिर भी मैं  उदास, मौन और गंभीर था I ट्रेन की गति के साथ ही सीट के कोने में बैठी वह सहमी-सिकुड़ी, पतली किन्तु स्वस्थ काया धीरे-धीरे हिल रही थी I मैंने एक उचटती निगाह उसकी ओर डाली फिर अपनी वी आई पी अटैची के उस…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2015 at 6:39pm — 13 Comments

माँ स्मरण (मातृदिवस पर विशेष )

                     :: 1 ::

             मॉं तू माने या न माने !

तेरी  वाणी-वीणा  के स्वर ।

रस-वत्सल के बहते निर्झर ।

मै अबोध तन्मय सुनता था वह सारे कलरव अनजाने ।

            मॉं तू माने या न माने !

वह तेरे पायल की रून-झुन ।

मै बेसुध घुंघुरू की धुन सुन ।

मेरे  मुग्ध  मन:स्थिति  की गति अन्तर्यामी  ही जाने ।

             मॉं तू माने या न माने !

सरगम सा आँखो का पानी ।

तू कच्छपि रागो  की रानी ।

इन तारो की ही झंकृति…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 10, 2015 at 1:03pm — 6 Comments

Monthly Archives

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service