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Rash Bihari Ravi's Blog – May 2011 Archive (4)

अब किस के लिए ,

अधुरा जीवन जिऊँ  ,

अब किस के लिए ?



तू उनका ही नहीं हुआ .

जिन्होंने तुझे जन्म दिया,

बोल जी रहा हैं तू ,

अब किस के लिए ?



पैसा सब कुछ नहीं हैं ,

मगर पैसा ना हो ,

तो कुछ भी नहीं हैं ,

और तू पैसे के लिए ,



घरवार छोड़ दिया ,

तू आया साथ लाया ,

अपने बीबी और बच्चो को ,

उनको छोड़ दिया ,

सपने में भी उनको ,

एक गिलास पानी दिया ,

वो तुम्हारे पैसे को नहीं ,

तुम्हारी राह देखते हैं ,

उनके इस अधूरे…
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Added by Rash Bihari Ravi on May 26, 2011 at 1:30pm — No Comments

आज एक बार फिर OBO पे मेरी कविता ,

क्या करू मन कहता हैं उसको मैंने लिखा ,

आज एक बार फिर OBO पे मेरी कविता ,
राजा दसरथ के चौथापन नहीं कोई संतान ,
फिर गुरु वसिष्ठ ने दिया उनको ज्ञान ,
हुई जग सफल और प्रभु लिए अवतार ,
राम लक्ष्मण भरत शत्रुधन भाई चार ,
चौदह साल की वनवास बोल दिए पिता ,
चल पड़े प्रभु राम संग लक्ष्मण और सीता ,
रावण ने…
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Added by Rash Bihari Ravi on May 24, 2011 at 7:30pm — 1 Comment

मेरे सपनों में अक्सर नेता जी आते हैं .

मेरे सपनों में अक्सर नेता जी आते हैं .

उनके आते ही मन में हलचल मच जाती हैं ,
और मैं उनको देखता हूँ ,
उन्हें सुनता हूँ
और उसके बाद ,
इस निर्णय पे…
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Added by Rash Bihari Ravi on May 9, 2011 at 12:30pm — 1 Comment

जो माया बंधन में भटका ,

जो माया बंधन में भटका ,
उनके वश में कुछ नहीं रहता ,
जो माया वश में रहते हैं ,
बिन बिचारे बात कहत हैं ,
जो अज्ञान रूपी मदिरा पिया ,
गए तुम भी जो वचन ध्यान दिया ,
सगुण अगुण में नहीं भेद है ,
ज्ञानी पंडित वेद कहे हैं ,
रवि गुरु जो कुछ भूल बोले ,
ध्यान न देना यही कहत हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on May 2, 2011 at 1:45pm — No Comments

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"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
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