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Akhilesh mishra's Blog – April 2013 Archive (4)

सरकारी नौकरी

सरकारी नौकरी

 

 

काश दो दिन दफ़्तर लगता ,

होती छुट्टी पाँच दिन,

खाते खेलते,सोते घर में

मौज मनाते पाँच दिन ।

 

बच्चे रोते भाग्य पर,

पर पत्नी खुश हो जाती,

हाथ बटाएगा काम में,

यह सोच मंद मुस्कुराती।

 

आ जाती तनख्वाह एक…

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Added by akhilesh mishra on April 26, 2013 at 12:45pm — 10 Comments

भूत को क्यों याद करूँ

भूत को क्यों याद करूँ

 

क्यों याद करूँ भूत को,

क्या दिया,

क्या सोचा था मेरे बारे में,

क्या रखा था भविष्य के लिए,

क्या अच्छा किया की,भूत को,

मैं याद करूँ ।

 

देखूंगा अपने भविष्य को,

सोचूंगा अपने भविष्य को,

कर्म करूँगा भविष्य के लिए,

संघर्ष करूँगा जीवन में,

सफल बनूँगा भविष्य में,भूत को क्यों,

मैं याद…

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Added by akhilesh mishra on April 18, 2013 at 10:30am — 6 Comments

क्या न लिखूँ

क्या न लिखूँ

दोपहर घर में बैठा मैं, कुछ,

सोच रहा,मस्तिस्क में आ रहे,

विषय कई,पर उलझन है की,

क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।

शब्दों और वाणी में, आज,

अनुशासन है नहीं, फिर भी,

समय देशकाल को विचारकर,

क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।

लिखने से तूफ़ान आ जाता,

लिखने से संबंध बिगड़ते,और,

सत्ता गिर जाती है ,इसीलिये,

क्या लिखूँ और क्या न लिखूँ ।

लिखने से मन के भाव आते,

कटु सत्य निकल जाता है,

आ…

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Added by akhilesh mishra on April 10, 2013 at 11:00am — 5 Comments

जन सेवा

जन सेवा

देख गरीबी भारत की,

फफक फफक मैं रो पड़ा,

क्यों अभिमान करूँ अपने पर,

अपने से ही , पूंछ पड़ा ।

शर्म नहीं आती क्यों उसको,

बड़ा आदमी कहता जो खुद…

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Added by akhilesh mishra on April 2, 2013 at 11:30am — 8 Comments

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