For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भूत को क्यों याद करूँ

भूत को क्यों याद करूँ

 

क्यों याद करूँ भूत को,

क्या दिया,

क्या सोचा था मेरे बारे में,

क्या रखा था भविष्य के लिए,

क्या अच्छा किया की,भूत को,

मैं याद करूँ ।

 

देखूंगा अपने भविष्य को,

सोचूंगा अपने भविष्य को,

कर्म करूँगा भविष्य के लिए,

संघर्ष करूँगा जीवन में,

सफल बनूँगा भविष्य में,भूत को क्यों,

मैं याद करूँ ।

 

छिपा होता है सब,

भविष्य की गर्त में ,

होगा वही जो भाग्य में लिखा है,

पर कर्म से बदल सकता है भाग्य,

कर्म पर ध्यान दूँगा,भूत को क्यों,

मैं याद करूँ ।

 

जो हुआ ,अच्छा हुआ,

जो हो रहा है,अच्छा हो रहा है,

जो होगा,अच्छा ही होगा,

श्रीकृष्ण का उपदेश है ये,

जब गीता है मेरे पास तो,भूत को क्यों,

मैं याद करूँ ।

 

 हमारे चाहने से जब,

काम बनेगा नहीं,तब,

समझूँगा ईश्वर की मर्जी है,

कर्म करूँगा,सब ईश्वर पर छोडकर,

मिलेगा फल बाद में,पर भूत को क्यों,

मैं याद करूँ ।

 

भूत को याद कर क्यों,

काँटा बिछाऊँ,भविष्य पथ पर,

भीग जाऊँ अश्रुधारा में,

गुम हो जाऊँ निर्जन वन में,

प्रकाश को देखूंगा,क्यों भूत को,

मैं याद करूँ ।

 

क्या है भूत के पास,भविष्य के लिए,

क्या सांत्वना है भविष्य के लिए,

क्यों विश्वास करूँ,झूठे भूत पर,

क्यों फंसू,इसके मायाजाल में ,

अनुभव की मर्यादा याद कर,क्यों भूत को,

मैं याद करूँ ।

 

स्वार्थ मेरे अंदर था नहीं,

निःस्वार्थ सत्य खोज रहा था,

ज्वार भाटे के कटु थपेड़ों से,

जीवन सत्य का दीदार किया,

अब भूत को फिर क्यों,

मैं याद करूँ ।

Views: 446

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 11:17pm

आदरणीय अखिलेश जी सादर, बहुत सुन्दर भाव अतुकांत रचना है इसलिए शायद मैं उतना आनंद नहीं ले पाया. मगर सच है जिसे आगे बढ़ना है वह पीछे गुजरे पर पश्चाताप या ख़ुशी मनाने के बजाय आगे की राह की सुध ले. बहुत बहुत बधाई.

Comment by akhilesh mishra on April 22, 2013 at 1:22pm

डॉ प्राची सिंह मैडम,गणेश जी,गीतिका जी ,सुविचार और सुझाव के लिए धन्यवाद ।आदरणीया कुन्ती जी के सुझाव पर मैं जरूर ध्यान दूँगा ।वैसे अच्छा रहता है कि हम आगे ही देंखे ।भूत पर चिंतन करने से समय की बर्बादी होती है । 

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 2:49am

अखिलेश मिस्रा जी  लगता है आपने इस रचना को बहुत गुस्से में लिखा है .  अच्छा बताइये आपने  अपने भूत को क्यों इतना नकारा

सिद्ध किया है .? मुझे लगता है  आपको फिर से एक बार भूत को याद करनी चाहिये .आप अन्यथा न लें.मैंने सिर्फ अपना विचार प्रकट

किया है.सादर कुंती .

Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 9:58pm

सुन्दर विचार सम्प्रेषण ......आदरणीय अखिलेश जी!
अतुकांत रचना ज्यादा लम्बी होने पर अपने उद्देश्य से भटकाव के डर में रहती है। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 9:43pm

भूत के अनुभव के आधार पर हमारा वर्तमान खड़ा होना चाहिए जिसपर चढ़  कर भविष्य को सवारने का प्रयत्न किया जा सके, इस प्रयास पर बधाई । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 7:10pm

विगत को भूल आगत का स्वागत करने के खूबसूरत भाव समेटी रचना के लिए बधाई 

अतुकांत कविता में बिम्बों का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है... अन्यथा अभिव्यक्ति सपाटबयानी सी लगती है. निरंतर लेखन और पाठन ही इसे समझने में सहायक होते हैं...

सद्प्रयास के लिए बधाई 

शुभेच्छाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service