For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कसाब की फाँसी  

पूरा देश खुशी मनाया,

कसाब की फाँसी पर,

ऐसा लगा मानो कोई बड़ा काम हुआ,

अधर्म पर धर्म की जीत हुयी,

किसी कमजोर ने बहादुरी का काम किया,

कंजूस ने महँगा आयोजन किया ।

 

खुशी की यह बात नहीं,शहीदों को याद करो,

यह बहुत पहले होना था,

खुशी तो तब मनाना,

जब अफ़ज़ल ,सईद फाँसी पर लटके,

हिंदुस्तान ताकत दिखाये,

मजबूती से,दुष्टों को उल्टा लटकाये ।

 

मारो चुनकर आतंकियों को,

मानवता के हैं ये दुश्मन,

आज हमें तो कल अपनों को मारेंगे,

मरना,मारना ही इनका कर्म और लक्ष्य है,

खोजो इसके मूल कारण को,

जड़ से इसे समाप्त करो ।

 

बंद करो राजनीति ,

मनुष्य की कीमत पहचानों,

कीड़े मकोड़ों की तरह,मत मरने दो,

ख़त्म करो आतंकवाद,

मत बनने दो बच्चों को आतंकवादी,

जिससे न लटके दूसरा कसाब,फाँसी में ।

Views: 454

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 4:42pm

धन्यवाद गणेश जी ।

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 1:23pm

धन्यवाद सारस्वत जी ।

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 1:22pm

धन्यवाद लक्ष्मण जी ।

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 1:22pm

धन्यवाद रक्तले जी. आपके विचार काफी महत्वपूर्ण होते हैं ।

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 25, 2012 at 8:03pm

मत बनने दो बच्चों को आतंकवादी,

जिससे न लटके दूसरा कसाब,फाँसी में ।

सुन्दर भाव प्रस्तुत करती रचना के लिए बधाई स्वीकारें आद. अखिलेश जी, यह कोई खुशी गम कि बात नहीं मगर संतुष्टि जरूर देती है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 8:46pm

सुन्दर भाव निहित है इस रचना में, खुलेआम जिसने निर्दोषों को मारा , उसे चुपके से मार दिया गया, क्या कही जाय !! बधाई इस प्रस्तुति पर |

Comment by Yogi Saraswat on November 24, 2012 at 11:21am

मारो चुनकर आतंकियों को,

मानवता के हैं ये दुश्मन,

आज हमें तो कल अपनों को मारेंगे,

मरना,मारना ही इनका कर्म और लक्ष्य है,

खोजो इसके मूल कारण को,

जड़ से इसे समाप्त करो ।

 निस्चित रूप से बुरा लगता है श्री अखिलेश मिश्रा  जी , जब न्याय मिलने में देरी होती है और ऐसे दुर्दांत आतंकवादियों को पाला जाता है ! लेकिन कानून की अपनी रफ्तार होती है ! अब तो आतंकवादियों का पनाहगार खुद आतंक का शिकार हो रहा है ! वो कहते हैं ना की जेया के पांव न फटी बिवाई , वो क्या जाने पीर पराई ! बहुत सामयिक और सटीक शब्द लिखे हैं आपने

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:36am

 भाव के लिए बधाई अखिलेश जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
16 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service