For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ram shiromani pathak's Blog – March 2013 Archive (12)

"ख्याली पुलाव"

चारपाई पर लेटे लेटे ,

ख्याली पुलाव पका रहा था !

सुन्दर अभिनेत्री के साथ ,

झील में नहा रहा था !!

इशारा किया पास आओ ,

इतने में शर्मा गयी!

उसकी यह चंचल अदा

मुझे और भी भा गयी…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 31, 2013 at 12:37pm — 17 Comments

ललित छंद

ललित छंद (16+12मात्रायें:- छन्नपकैया की जगह "आनंद करो आनंद करो" का प्रयोग)



आनंद करो आनंद करो ,देखो होली आई !

मजे लेकर सब खा रहे है ,हलवा खीर मिठाई !!१

आनंद करो आनंद करो,इसको उसको रंगा !

झूमते हुड़दंग मचाया ,पीकर सबने भंगा !!२

आनंद करो आनंद करो,रंग भरी…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 26, 2013 at 12:00pm — 3 Comments

"प्यारे बच्चे "

कपोल पुष्प 

अधर पंखुडियां

मनमोहिनी 

तोतली बोली

नटखट,चंचल

मन मोहक

खिलखिलाता 

बिगड़ता बनाता 

बच्चे प्यारे है…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 22, 2013 at 5:04pm — 1 Comment

"होड़"

लूट अकूत मची सगरे अरु ,छोड़त नाहि घरै अपना !
आपस में झगड़ाइ रहे सब ,पावत कौन रहा कितना !!
खीचत छीनत मारत पीटत,धो रहे जइसे पिटना!
होड़ मची इक दूसर से बस ,कौन बनावत है कितना !!

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Added by ram shiromani pathak on March 21, 2013 at 12:52pm — 8 Comments

"मत्तगयंद सवैया"(प्रयास )

पीर उठे नहि कष्ट घटे अरु, लागत रात बड़ी अधियारी !

आँखिन आँसु सुखाइ गया अरु, सेज जले जइसे अगियारी !!

आपन रूप बिगाड़ फिरे वह, ताकत राह खड़ी दुखियारी !

लोग कहे पगलाय गयी यह, लागत हो जइसे विधवारी!!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित

Added by ram shiromani pathak on March 17, 2013 at 12:00pm — 6 Comments

मत्तगयंद सवैया(एक प्रयास )

दूर करैं सब कष्ट महा प्रभु ,जाप करो शिव शंकर नामा ! 

जो नर ध्यान धरै नित शंकर ,ते नर पावत शंकर धामा !!

ध्यान लगाय भजो नित शंकर ,लालच मोह सबै तजि कामा !

जो भ्रमता भव बंधन में तब,पावत ना वह जीव विरामा !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 12:31pm — 8 Comments

"गर्मी "

(1)तपता तन
सूरज की किरणें
लाचार जन

(2)धूप का घर
तरुवर की छाया
ठंडी बयार

(3)सभी बेकल
अनुभव करते
उष्ण कम्बल

(4)संध्या हो जाये
रजनी आगमन
सभी मगन

(५) उड़ती जाती
बंद मुठ्ठी में कैद
भाप बनती

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

Added by ram shiromani pathak on March 11, 2013 at 8:45pm — 8 Comments

"महिला दिवस पर कुछ दोहे "

बॆटॊं जैसा ही मिले, इनको भी अधिकार ।
विनती है हर मात सॆ, बेटी को मत मार ॥
**************************
माता,बहना रूप में, मिलता इनका प्यार ।
बेटी मूरत प्रेम की , जानत है संसार ॥
**************************
इनको मिले समाज में, उतना ही सम्मान ।
कुल का दीपक पूत है , बेटी घर की शान ॥
***************************
बदलो अपनी सोच को,दो नवीन आकार ।
नारी कॆ कारन रहॆ , हरा-भरा परिवार ॥

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित

Added by ram shiromani pathak on March 8, 2013 at 3:00pm — 8 Comments

"कुण्डलिया एक प्रयास "

कांपे निशाचर थर-थर-2 ,देख रूप विकराल !

उनको ऐसा लग रहा ,खड़ा सामने काल !!

खड़ा सामने काल ,सभी निशिचर घबराये!

लिये हाथ में खड्ग ,सबै चंडी दौड़ाये!!

लगे भागने दुष्ट ,मृत्यु सम्मुख जब भांपे ,

देख भयंकर रूप ,तीनो लोक फिर कांपे !!

राम शिरोमणि…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 6, 2013 at 8:06pm — 3 Comments

"कुछ दोहे "

मन को ऐसा राखिये ,जैसे गंगा नीर !

निर्मल जल से जिस तरह ,रहता स्वच्छ शरीर !!

************************************************

मोल भाव ना ज्ञान का ,क्रय-विक्रय ना होय!

खर्च करो जितना इसे ,वृद्धि निरंतर होय !!

******************************************…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 5, 2013 at 8:30pm — 5 Comments

"प्रकृति"(दोहा )

कल -कल की ध्वनि आ रही ,सुनो मधुर संगीत !
प्रकृति बांसुरी बजती,होता यही प्रतीत !!


शीतल बयार बह रही ,तन-मन ठंडा होय !
देख भ्रमर दल पुष्प पर,ह्रदय प्रफुल्लित होय !!


तरुवर की छाया मिले ,लिये बिछौना घास !
इस प्रकृति वरदान में ,सब ले खुलकर स्वास !!


पेड़ों की रक्षा करो ,कटने ना दें आप !
सबको ,कमी से इनके ,लगे भयानक श्राप !!


राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

Added by ram shiromani pathak on March 5, 2013 at 3:12pm — 4 Comments

"यहाँ सबकुछ बिकता है "

कलयुग है भाई ,

यहाँ सबकुछ बिकता है !

घर ,वाहन,ज़मीन को छोड़ो,

यहाँ इंसान बिकता है !!



बस खरीदने वाला चाहिए ,

यहाँ ईनाम बिकता है !

फ़कत चंद नोटों के लिए ,

यहाँ सम्मान बिकता है !!



गरीब की रोटी बिकती है ,

लाचार,नंगा भूखा बिकता है !

जिससे ढकता बदन वह ,

गरीब की वह धोती बिकती है !!



जिसके पास कुछ नहीं ,

स्वाभिमान को छोड़कर !

उस स्वाभिमानी का अब ,

ईमान बिकता है !!



राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक…

Continue

Added by ram shiromani pathak on March 3, 2013 at 11:35am — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
22 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service