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Dr Ashutosh Mishra's Blog – March 2015 Archive (2)

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं

१२२२     १२२२     १२२२  १२२२

इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं 

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं 

कशिश बातों में तेरी अब अजब सी मुझ को लगती है 

तेरी बातों को बातें ही या फिर इकरार ही समझूं 

वो डर के भेडियों से आज मेरे पास आये हैं 

कहूं हालात इसको या कि मैं ऐतवार ही समझूं 

तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है 

तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं 

पड़े ओंठों पे ताले पलकें उठती…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on March 24, 2015 at 10:00am — 22 Comments

तेरी मुस्कान तेरी शान तेरा ये जलवा

२१२२  ११२२   १२२२   २२/११२

तेरी मुस्कान तेरी शान तेरा ये जलवा

काजू किशमिश से भरा जैसे बादामी हलवा

तू न होता तो भला कैसे दिल से दिल मिलते

ऐ हंसी गुल किसी जूही से मुझे  भी मिलवा

तेरी खुशबू में छुपा धड़कने दूंगा दिल की

बात जैसे भी बने बात तो मेरी बनवा

फायले दिल में हैं उनके तमामों नाम लिखे

फैसला होने से पहले मेरी अर्जी…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:30pm — 11 Comments

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