जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,
लोग कहते हैं जीता हैं पीने के लिए ,
कसम से उनकी बात सत्य हैं यारो ,
मगर दो घूँट जरुरी दर्दे जिगर के लिए ,
दिल में बैठे थे वो मालिक बन कर ,
और छोड़ गए तन्हा मरने के लिए ,
पता हैं मैं क्यों पिए जा रहा हूँ ,
आस लगाये बैठा हूँ बेवफा के लिए ,
वो मिले या न मिले मगर ये दिल ,
तू संभल जा बस गुरु के लिए ,
Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2011 at 4:00pm — No Comments
Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments
Added by Rash Bihari Ravi on March 11, 2011 at 12:33pm — 1 Comment
प्रभु ये क्या गजब कर डाला ....
एक बार एक भक्त ,
भगवान शिव की ,
लगातार आराधना की ,
उसने भगवन शिव की ,
मन जीत ली ,
एक दिन भगवन शिव ,
दर्शन दिए ,
उससे बोले ,
एक वर मांगने के लिए ,
उसने सोचा ,
फिर बोला ,
भगवन मुझे किसी भी ,
त्रिसंकू बिधानसभा का ,
निर्दलीय सदस्य बना दो ,
प्रभु यही एक वर दो ,
भगवान शिव ने कहा ,
ऐसा ही होगा ,
इतना बोल भगवन कैलाश गए ,
तब माँ पार्बती ने कहा ,
प्रभु ये क्या गजब कर…
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 1 Comment
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 2 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:17pm — 1 Comment
Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2011 at 5:30pm — 1 Comment
शब्दों के जाल में फँस कर उलझ गया हूँ ,
मैं बस शब्द बन कर रह गया हूँ ,
सोचता हूँ निकल जाऊ इस जाल से ,
मगर वो कर नहीं पाता, कारण ?
जब भी कोशिश करता हूँ ,
और भी उलझता ही जाता हूँ ,
पहले बेटा फिर भाई ,
फिर काका बन गया ,
आगे चल कर पति ,
फिर पिता और अब ,
दादा बन गया हूँ ,
अगर अब भी नहीं निकल पाया ,
तो ये मेरी बदनसीबी हैं ,
हे प्रभु बुद्धि दे ,
मेरी सुधि ले ,
कि मैं इस मकड़ जाल से निकल सकूँ ,
और इन शब्द जाल से निकल…
Added by Rash Bihari Ravi on March 2, 2011 at 4:00pm — 3 Comments
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