For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rash Bihari Ravi's Blog – March 2011 Archive (8)

जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,

जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,
लोग कहते हैं जीता हैं पीने के लिए ,


कसम से उनकी बात सत्य हैं यारो ,
मगर दो घूँट जरुरी दर्दे जिगर के लिए ,


दिल में बैठे थे वो मालिक बन कर ,
और छोड़ गए तन्हा मरने के लिए ,


पता हैं मैं क्यों पिए जा रहा हूँ ,
आस लगाये बैठा हूँ बेवफा के लिए ,


वो मिले या न मिले मगर ये दिल ,
तू संभल जा बस गुरु के लिए ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2011 at 4:00pm — No Comments

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

लेकर दोस्तों की तकरार ,

संग में चुनावी तेवहार ,

देखो दोस्त करे लड़ाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

आगे पार्नव  की पुकार  ,

फिर दीदी का बेवहार ,

करे कभी मिलन कभी जुदाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

कांग्रेस में मची हाहाकार ,

लाल भी थोड़ा परेशान ,

हिंदी भासियो की यहा नहीं कोई सुनवाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

सबका डंका बाजे यार ,

जीतेगा होगी जय जयकार ,

जित के लिए हैं जरुरी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments

उनके परम प्रिये ,

उनके परम प्रिये ,

बार बार झटके दिए ,

उन्होंने बार बार जोड़ा ,

और वो झटके में तोड़ दिए ,

उनके परम प्रिये ,

पहली गलती माँ बाप की ,

जो अब देता हैं दिखाई ,

उनकी उम्र थी चालीस की ,

और सोलह के मिले ,

उनके परम प्रिये ,

अब हुई ओ तिस की ,

और ये साठ के करीब हैं ,

अजब लगा था उन्हें ,

पति के जगह अंकल पहचान दिए ,

उनके परम प्रिये ,

एक दिन उस अंकल के ,

उस प्रिया को सब्ज बाग दिखाया ,

उनको अपने करीब पाया ,

और दोनों निकल लिए… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 11, 2011 at 12:33pm — 1 Comment

प्रभु ये क्या गजब कर डाला ,

प्रभु ये क्या गजब कर डाला ....



एक बार एक भक्त ,

भगवान शिव की ,

लगातार आराधना की ,

उसने भगवन शिव की ,

मन जीत ली ,

एक दिन भगवन शिव ,

दर्शन दिए ,

उससे बोले ,

एक वर मांगने के लिए ,

उसने सोचा ,

फिर बोला ,

भगवन मुझे किसी भी ,

त्रिसंकू बिधानसभा का ,

निर्दलीय सदस्य बना दो ,

प्रभु यही एक वर दो ,

भगवान शिव ने कहा ,

ऐसा ही होगा ,

इतना बोल भगवन कैलाश गए ,

तब माँ पार्बती ने कहा ,

प्रभु ये क्या गजब कर…

Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 1 Comment

अक्सर सोच कर ,

अक्सर सोच कर

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

जब गहराई में

जाता हूँ ,

तो बस

इतना ही पाता हूँ ,

अक्सर सोच कर ,

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

नेता बना हैं ,

देश को लुटने के लिए ,

मगर नेता जी की

बात सोचता हूँ ,

बहुत कुछ पाता हूँ

अक्सर सोच कर ,

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

बेटा बना हैं ,

माँ बाप को चूसने के लिए ,

मगर सरवन कुमार को ,

सोचता हूँ तो ,

बहुत कुछ पाता हूँ

अक्सर सोच कर ,

समझ कर… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 2 Comments

गड़बड़ मत कर समझकर ,

गड़बड़ मत कर समझकर ,
चल हरदम सत्य पथ पर ,
रख हरदम पकर मन पर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
समझ मत (निर्णय) हर पल ,
कम कर गम हँस हँस कर ,
बढ़ चल डगर संभलकर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
हरदम समय पर सब कर ,
अक्सर समय पकर सच कर ,
बढ़ बस बढ़ पथ बन कर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:17pm — 1 Comment

नारी तेरी अजब कहानी हैं ,

नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही माता तुम्ही बहना ,
तुम्ही बेटी तुम्ही दादी-नानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही आदि शक्ति माता ,
तुम्ही ने ही धरती पे लाई बिधाता ,
सब जाने ये ना जुबानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
आज सब कुछ बदल गया ,
जुल्म में आगे निकल गया ,
तुम्ही सास ननद और जेठानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
नारी जलाई जाती है ,
नारी का नाम नारायणी हैं ,
ये बड़ी दुखद कहानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2011 at 5:30pm — 1 Comment

शब्द जाल

शब्दों के जाल में फँस कर उलझ गया हूँ ,

मैं बस शब्द बन कर रह गया हूँ ,

सोचता हूँ निकल जाऊ इस जाल से ,

मगर वो कर नहीं पाता, कारण ?

जब भी कोशिश करता हूँ ,

और भी उलझता ही जाता हूँ ,

पहले बेटा फिर भाई ,

फिर काका बन गया ,

आगे चल कर पति ,

फिर पिता और अब ,

दादा बन गया हूँ ,

अगर अब भी नहीं निकल पाया ,

तो ये मेरी बदनसीबी हैं ,

हे प्रभु बुद्धि दे ,

मेरी सुधि ले ,

कि मैं इस मकड़ जाल से निकल सकूँ  ,

और इन शब्द जाल से निकल…

Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 2, 2011 at 4:00pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
9 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service