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Rash Bihari Ravi's Blog – March 2011 Archive (8)

जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,

जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,
लोग कहते हैं जीता हैं पीने के लिए ,


कसम से उनकी बात सत्य हैं यारो ,
मगर दो घूँट जरुरी दर्दे जिगर के लिए ,


दिल में बैठे थे वो मालिक बन कर ,
और छोड़ गए तन्हा मरने के लिए ,


पता हैं मैं क्यों पिए जा रहा हूँ ,
आस लगाये बैठा हूँ बेवफा के लिए ,


वो मिले या न मिले मगर ये दिल ,
तू संभल जा बस गुरु के लिए ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2011 at 4:00pm — No Comments

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

लेकर दोस्तों की तकरार ,

संग में चुनावी तेवहार ,

देखो दोस्त करे लड़ाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

आगे पार्नव  की पुकार  ,

फिर दीदी का बेवहार ,

करे कभी मिलन कभी जुदाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

कांग्रेस में मची हाहाकार ,

लाल भी थोड़ा परेशान ,

हिंदी भासियो की यहा नहीं कोई सुनवाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

सबका डंका बाजे यार ,

जीतेगा होगी जय जयकार ,

जित के लिए हैं जरुरी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments

उनके परम प्रिये ,

उनके परम प्रिये ,

बार बार झटके दिए ,

उन्होंने बार बार जोड़ा ,

और वो झटके में तोड़ दिए ,

उनके परम प्रिये ,

पहली गलती माँ बाप की ,

जो अब देता हैं दिखाई ,

उनकी उम्र थी चालीस की ,

और सोलह के मिले ,

उनके परम प्रिये ,

अब हुई ओ तिस की ,

और ये साठ के करीब हैं ,

अजब लगा था उन्हें ,

पति के जगह अंकल पहचान दिए ,

उनके परम प्रिये ,

एक दिन उस अंकल के ,

उस प्रिया को सब्ज बाग दिखाया ,

उनको अपने करीब पाया ,

और दोनों निकल लिए… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 11, 2011 at 12:33pm — 1 Comment

प्रभु ये क्या गजब कर डाला ,

प्रभु ये क्या गजब कर डाला ....



एक बार एक भक्त ,

भगवान शिव की ,

लगातार आराधना की ,

उसने भगवन शिव की ,

मन जीत ली ,

एक दिन भगवन शिव ,

दर्शन दिए ,

उससे बोले ,

एक वर मांगने के लिए ,

उसने सोचा ,

फिर बोला ,

भगवन मुझे किसी भी ,

त्रिसंकू बिधानसभा का ,

निर्दलीय सदस्य बना दो ,

प्रभु यही एक वर दो ,

भगवान शिव ने कहा ,

ऐसा ही होगा ,

इतना बोल भगवन कैलाश गए ,

तब माँ पार्बती ने कहा ,

प्रभु ये क्या गजब कर…

Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 1 Comment

अक्सर सोच कर ,

अक्सर सोच कर

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

जब गहराई में

जाता हूँ ,

तो बस

इतना ही पाता हूँ ,

अक्सर सोच कर ,

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

नेता बना हैं ,

देश को लुटने के लिए ,

मगर नेता जी की

बात सोचता हूँ ,

बहुत कुछ पाता हूँ

अक्सर सोच कर ,

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

बेटा बना हैं ,

माँ बाप को चूसने के लिए ,

मगर सरवन कुमार को ,

सोचता हूँ तो ,

बहुत कुछ पाता हूँ

अक्सर सोच कर ,

समझ कर… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 2 Comments

गड़बड़ मत कर समझकर ,

गड़बड़ मत कर समझकर ,
चल हरदम सत्य पथ पर ,
रख हरदम पकर मन पर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
समझ मत (निर्णय) हर पल ,
कम कर गम हँस हँस कर ,
बढ़ चल डगर संभलकर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
हरदम समय पर सब कर ,
अक्सर समय पकर सच कर ,
बढ़ बस बढ़ पथ बन कर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:17pm — 1 Comment

नारी तेरी अजब कहानी हैं ,

नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही माता तुम्ही बहना ,
तुम्ही बेटी तुम्ही दादी-नानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही आदि शक्ति माता ,
तुम्ही ने ही धरती पे लाई बिधाता ,
सब जाने ये ना जुबानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
आज सब कुछ बदल गया ,
जुल्म में आगे निकल गया ,
तुम्ही सास ननद और जेठानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
नारी जलाई जाती है ,
नारी का नाम नारायणी हैं ,
ये बड़ी दुखद कहानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2011 at 5:30pm — 1 Comment

शब्द जाल

शब्दों के जाल में फँस कर उलझ गया हूँ ,

मैं बस शब्द बन कर रह गया हूँ ,

सोचता हूँ निकल जाऊ इस जाल से ,

मगर वो कर नहीं पाता, कारण ?

जब भी कोशिश करता हूँ ,

और भी उलझता ही जाता हूँ ,

पहले बेटा फिर भाई ,

फिर काका बन गया ,

आगे चल कर पति ,

फिर पिता और अब ,

दादा बन गया हूँ ,

अगर अब भी नहीं निकल पाया ,

तो ये मेरी बदनसीबी हैं ,

हे प्रभु बुद्धि दे ,

मेरी सुधि ले ,

कि मैं इस मकड़ जाल से निकल सकूँ  ,

और इन शब्द जाल से निकल…

Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 2, 2011 at 4:00pm — 3 Comments

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