For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

S. C. Brahmachari's Blog – February 2014 Archive (5)

सखि री ! फागुन के दिन आए

सखि री ! फागुन के दिन आए

 

तृषित रूपसी ठगि – ठगि जाए

कलरव  से   गूँजे   अमराई

प्रिय जाने किस  देश  पड़े ?

हर पल , हर क्षण काटे तनहाई ।

सूना – सूना  दिन लागे , साजन  की याद  सताये

सखि री ! फागुन के दिन आए ।

फूली सरसों और पगडंडी –

आज  दिखे सुनसान रे !

करवट लेते रात गुज़र गयी ,

ऐसे  हुयी  विहान  रे !

ऐसे मे कोयलिया रह – रह , हिय  की  आग बढ़ाए

सखि री ! फागुन के दिन आए…

Continue

Added by S. C. Brahmachari on February 25, 2014 at 8:00pm — 6 Comments

मै पागल मेरा मनवा पागल

मै पागल मेरा मनवा पागल

मै पागल  मेरा मनवा  पागल, ढूँढे इंसाँ  गली - गली ।

आज फरिश्ता भी गर कोई

इस  धरती पर  आ  जाए

इंसाँ  को  इंसाँ   से  लड़ते-

देख  देख  वह  शरमाए ।

बेटी  को  बदनाम किया , जो थी नाज़ों के साथ पली

मै  पागल  मेरा मनवा पागल,  ढूँढे इंसाँ  गली - गली ।

दूध दही की नदियां थी तब-

उनमें  गंदा  पानी   बहता

द्वारे – द्वारे, नगरी – नगरी,

विषधर यहाँ  पला  करता ।

कान्हा आकर…

Continue

Added by S. C. Brahmachari on February 22, 2014 at 10:30am — 12 Comments

मन बौराया

   मन बौराया

कंगना खनका

मन बौराया

ऐसा लगता फागुन आया ।

रूप चंपयी

पीत बसन

फैली खुशबू

ऐसा लगता

यंही कंही  है चन्दन वन ।

पागल मन

उद्वेलित करने

अरे कौन चुपके से आया ?

पनघट पर

छम छम कैसा यह !

कौन वहाँ रह – रह बल खाता ?

मृगनयनी वह परीलोक की

या है वह  –

सोलहवां सावन !

मन का संयम

टूटा जाये

देख देख यौवन गदराया ।

कंगना खनका

मन…

Continue

Added by S. C. Brahmachari on February 21, 2014 at 6:22pm — 16 Comments

कैसा है यह जीवन मेरा !

कैसा है यह जीवन मेरा !

रोटी की खातिर मैं भटकूँ

नदियों नदियों , नाले नाले ।

अधर सूखते सूरत जल गयी

पड़े  पाँव मे  मेरे छाले ।

लक्ष्य कभी क्या मिल पाएगा , मिल पाएगा रैन बसेरा ?

कैसा है यह जीवन मेरा !                                         

 

मैंने तो सोचा था यारो

भ्रमण करूंगा उपवन-उपवन

जाने कैसे राह बदल गयी

बैठा सोचे आज व्यथित मन !

मेरा मन बनजारा बनकर ,  नित दिन अपना बदले डेरा ।

कैसा है…

Continue

Added by S. C. Brahmachari on February 3, 2014 at 9:30pm — 12 Comments

जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

 

माघ महीने सुबह सबेरे , जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

कुहरा आया छाए बादल

टिप - टिप बरसा पानी ।

जाने कब मौसम बदलेगा

हार  धूप  ने   मानी ।

गौरइया भी दुबकी सोचे , जाने क्यूँ सकुचाई धूप !

माघ महीने सुबह सबेरे , जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

बिजली चमकी , गरजा बादल

हवा   चली     पछुवाई ।

थर – थर काँपे तनवा मोरा

याद  तुम्हारी   आयी ।

घने बादलों मे घिर – घिर कर, लेती अब अंगड़ाई धूप !

माघ…

Continue

Added by S. C. Brahmachari on February 1, 2014 at 8:40pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service