For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

 

माघ महीने सुबह सबेरे , जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

कुहरा आया छाए बादल

टिप - टिप बरसा पानी ।

जाने कब मौसम बदलेगा

हार  धूप  ने   मानी ।

गौरइया भी दुबकी सोचे , जाने क्यूँ सकुचाई धूप !

माघ महीने सुबह सबेरे , जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

बिजली चमकी , गरजा बादल

हवा   चली     पछुवाई ।

थर – थर काँपे तनवा मोरा

याद  तुम्हारी   आयी ।

घने बादलों मे घिर – घिर कर, लेती अब अंगड़ाई धूप !

माघ महीने सुबह सबेरे , जाने  क्यूँ  अलसायी धूप ?

बढ़ी ठंड पिछले पखवारे

नहीं  दिखी  परछाईं ।

मेरे आँगन की तुलसी भी

खड़ी – खड़ी मुरझायी ।

इन्तजार मे दिन भी बीता , बादल मे शरमायी धूप !

माघ महीने सुबह सबेरे , जाने क्यूँ अलसायी धूप ?

                  ------ मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by S. C. Brahmachari on February 9, 2014 at 10:05pm
रचना की प्रशंसा मनभावन लगी । हार्दिक आभार बहन डॉ प्राची जी !
Comment by S. C. Brahmachari on February 9, 2014 at 9:55pm
रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार भाई सौरभ पाण्डेय जी !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 7, 2014 at 11:08am

वाह ! बहुत खूबसूरत गीत लिखा है..

उमड़ते घुमड़ते बादलों के बीच ही जैसे पहुचा दिया कविता नें धूप ढूंढते...

प्रवाह भी बहुत ही सुन्दर है..

हार्दिक बधाई आ० ब्रह्मचारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 12:44am

आदरणीय ब्रह्मचारीजी.

वाह वाह ! .. बधाई !

Comment by S. C. Brahmachari on February 4, 2014 at 9:07pm
आप सभी को मेरी रचना पसंद आयी, हृदय से आभारी हूँ । वसंत पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएँ स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 4, 2014 at 12:28am
बहुत सुंदर ब्रह्मचारी जी, आनंद आ गया.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 3, 2014 at 10:43pm

बहुत सुंदर गीत, हार्दिक बधाई आदरणीय ब्रह्मचारी जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 3, 2014 at 9:27pm

बहुत ही सुंदर आदरणीय बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on February 3, 2014 at 7:29pm

वाह! बहुत सुन्दर! बढ़िया गीत! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Meena Pathak on February 3, 2014 at 2:28pm

बहुत सुन्दर गीत .. सादर बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service