For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kanta roy's Blog – February 2016 Archive (7)

लिटिल चैम्पियन ( लघुकथा )

"महज़ सात वर्ष की उम्र में "सिल्वर स्क्रीन लिटिल चैम्पियन" जीतने वाला तुम्हारे डांसर बेटे का ,ये क्या हाल हो गया रेखा ?"

 " उस लिटिल चैम्पियनशिप ने ही तो उसको बरबाद किया है " उसने अपने आँखों में उतरे समंदर को संभालते हुए कहा ।

 " ये क्या कह रही हो तुम ! "

 "हाँ ,सच कह रही हूँ , उस चैम्पियनशिप जीतने के बाद नाचने में ही वह लगा रहा , पढ़ाई छूट गयी उसकी , और तुम तो जानती हो कि फिल्मी दुनिया के भाई -भतीजेवाद में कहाँ मिलता है बाहर वालों को स्थान ? "

 " वह स्टेज परफॉर्मर तो बन…

Continue

Added by kanta roy on February 28, 2016 at 11:00am — 6 Comments

रिश्तों की धुलाई / लघुकथा

उसने आज अपने सभी नये पुराने रिश्तों को धोकर साफ़ करने के विचार से , काली संदूक से उन्हें बाहर निकाला ।

पानी में गलाकर ,साबुन से घिसकर , खूब धोया । कितने मैल, कितनी काई , छूटकर नाली में बही , लेकिन उनमें से मैल निकलना अभी तक जारी था ।

रिश्तों की काई धोते - धोते हठात् पानी खत्म होने का एहसास हुआ । जरा सा पानीे बचा था ।

लगे हाथ उसने दोस्ती को बिना साबुन ही खंगाल लिया ।

उसे यकीन था , रगड़ कर धोये हुए समस्त रिश्ते चमक गये होंगे ।

सुखाने के लिये तार पर फैलाते वक्त वह चकित हुआ… Continue

Added by kanta roy on February 24, 2016 at 11:03am — 9 Comments

भूख और पेट / लघुकथा / कान्ता राॅय

आज फिर सुबह - सुबह वह सलाम बजाने पहुँच गया उनके घर । साथ में ब्रेड - अंडे का पैकेट भी ले आया था । खाली हाथ कैसे आता भला ! वे अफसर जो ठहरे ! सुना था कि उनको भूख बहुत लगती है ।

लेकिन भूखा तो वह भी था । उसके पेट में भी दिनों दिन भूख की आग बढ़ रही थी ।

लेकिन क्या करें ! नित नये पैंतरे बदलता ,जाने कब किस बात पर वे खुश हो जाये और उसका काम बन जायें !

सरकारी अफसरों का मिजाज़ और उनकी भूख , तो वह जानता था , पर मिटाने का तरीका अभी सीख रहा था ।



शुरू - शुरू में तो काजू की बरफी भी… Continue

Added by kanta roy on February 23, 2016 at 7:00am — 8 Comments

मोह के धागे / कहानी / कान्ता राॅय

घर से बहुत दूर निकल आई थी । जाने क्या उद्वेग था कि छोड़ आई पल भर में सब कुछ । पिछले कई सालों से मन बडा उद्विग्न था । जतन करके संभाल रखा  था  लेकिन बाढ़ का पानी ,  सुनता है क्या कभी किसी घाट या  तटबंध को ! सो वेग ना सम्भल सकी , टूट गई । आते वक्त , घर से चार कदम दूर ही निकली थी कि आॅटो मिल गया ।

ऐसा लगा जैसे वह मेरा इंतज़ार ही कर रहा था ।



" स्टेशन चलोगे ? "



" बैठिये "



" कितना लोगे ? "



" १६० रूपये "



" क्या ,मीटर से नहीं चलोगे ?… Continue

Added by kanta roy on February 18, 2016 at 12:55pm — 17 Comments

वापसी जीवन के उस पार से /कहानी / कान्ता रॉय , भोपाल।

अचानक से कुछ होने लगा था । हल्का सा चक्कर और  पेपर हाथ से सरककर नीचे गिर पडा़ । उठाने को हाथ बढाया तो एहसास हुआ कि  शिथिल पड़ चुका  था मै । देह भी निष्प्राण से हो चले थे । आँखों में ही अब   होश बाकी था शायद ।सब देख और सुन पा रहा था  ।  बगल वाले कमरे में नये साल की पार्टी  अब भी जारी  थी । घर के सब सदस्य ,  बेटे- बहू, नाती- पोते , आज इकट्ठे हो गये थे  जश्न मनाने के लिए ।

मुझे पार्टी में ही तबियत नासाज   लग  रही थी । मै चुपके से  अपने कमरे में आकर  इस आराम चेयर पर एकदम…

Continue

Added by kanta roy on February 16, 2016 at 11:45pm — 7 Comments

तुम परी हो / कविता

तुम घर मत आना कभी

तुम्हें कसम है मेरी



तुम्हारा संसार है सपनों सा

और तुम परी जैसी

तुम्हारा मन है कोमल

और तुम निर्मल सी

तुम्हारी कोमलता

तुम्हारी निर्मलता

सहन ना कर पायेंगी

यहाँ की विसंगति



यहाँ जल रहे है बाग

टूट रहे है आशियाने

सब है धुआँ धुआँ

घुट रही है जिंदगी





गये सब शानो असबाब

जल गये राजमहल

रह गई है बस सित्कार

जमीन पर यहीं



काँटे ही काँटे

ना सह पाओगी इन शूलों को

ना रह… Continue

Added by kanta roy on February 4, 2016 at 5:30pm — 6 Comments

ये शबे -गम किसने दी दिल को / गजल

ये शबे-गम किसने  दिया  दिल को

किसने अपना बना लिया दिल को



मेरी नजरों में तेरे ख्वाब सनम

कह रहे हैं ये शुकरिया दिल को



इश्क तुमसे किया है शिद्दत से

और बे चैन कर लिया दिल को



पीला-पीला बसंती सा आंचल

मिस्ल-ए-गुलशन बना गया दिल को



चाँदनी दूर जा के चमके कहीं

हमने अब तो जला लिया दिल को



रूठी तकदीर आज जागी है

कौई तकदीर दे गया दिल को



छुप गया चाँद रात होने पर

उसने जब प्यार से छुआ दिल को



तंग…

Continue

Added by kanta roy on February 2, 2016 at 1:00pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
8 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service