वक़्त गुज़रता है गुज़र जाता है
जैसे धूप की सीढ़ियों से दिन
पहाड़ों की रेल पकड़े-पकड़े
हर रोज़ उतर जाता है
जैसे शाम से आगे
रात के अँधेरे में सूरज
किसी अपरास्त सैनिक की मानिंद
भरे-भरे कदमों घर जाता है
बच्चे स्कूल और कॉलेज चले जाते हैं
घर के कुत्ते भी खाना खाकर सो जाते हैं
तोता पिंजरे में टांय टांय करके
झूले से उतर जाता है
और घर के आँगन में
पीपल का…
Added by राज़ नवादवी on February 9, 2016 at 6:00pm — No Comments
हाँ, कुछ महीनों से घर बैठा हूँ
और इसलिए
आजकल कविता ही लिखता हूँ
मगर तुम तो जानती हो
कविता लिखने से काम तो नहीं चलता
बाजारों में कड़कते नोट चलते हैं
और खनकते सिक्के
रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए
शायर का नाम तो नहीं चलता
हाँ, वाहवाहियाँ मिलती हैं
और शाबाशियाँ भी खूब
इरशाद इरशाद कहके चिल्लाते हैं
और देते है तालियाँ भी खूब
लाइक्स भी मिलते हैं और…
Added by राज़ नवादवी on February 9, 2016 at 6:00pm — No Comments
दिल रेल की पटरी है
और तुम एक आती-जाती ट्रेन
तुम सीने को रौंद के जाते हो
तभी अच्छे लगते हो
जब मुफ़स्सिल बियाबानों से
कोहसारों की खुशबू लाते हो
तभी अच्छे लगते हो
कभी चलते-चलते सीटी बजाते,
कभी पहियों से गुनगुनाते हो
तभी अच्छे लगते हो
कभी सुबह की किरणों के संग जगाते
कभी रातों को झुरमुटों में सुलाते हो
तभी अच्छे लगते हो
कभी रुकने वाले स्टेशनों पर न रुक कर
किसी अनजान से मोहल्ले में…
Added by राज़ नवादवी on February 9, 2016 at 6:00pm — 4 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |