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विनोद खनगवाल's Blog – January 2015 Archive (3)

पंचायत (लघुकथा)

"भीखू, तुम्हारे बेटे पर चौधरी साहब की बेटी से बलात्कार करने का अपराध साबित हो गया है। अब पंचायत अपना फैसला सुनाएगी।"
"मैं भरी पंचायत में यह यकीन के साथ कह सकता हूँ यह मेरा बेटा नहीं हो सकता है। हमारे खून में इतनी हिम्मत नहीं है किसी के साथ जबरदस्ती करे। यह जरूर किसी.........।"


मौलिक और अप्रकाशित

Added by विनोद खनगवाल on January 22, 2015 at 10:00am — 12 Comments

पंचायती अल्ट्रासाउंड (लघुकथा)

"सरपंच साहब, रमेश नंबरदार की लड़की ने अपने ही गांव के लड़के के साथ भागकर शादी कर ली है। इससे पूरे गांव की नाक कट गई है। अब कानून भी इन लड़कियों का ही साथ देता है अपनी इज्जत बचाने के लिए इसका समाधान किया जाना जरूरी हो गया है।"
"ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी। एक काम करते हैं पंचायती अल्ट्रासाउंड मशीन ले आते हैं।"


मौलिक और अप्रकाशित

Added by विनोद खनगवाल on January 14, 2015 at 9:33pm — 7 Comments

असर (लघुकथा)

"यार सुरेश देखो! हमारा देश अब कितनी प्रगति कर रहा है।"
"मुझे तो अभी ऐसा कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा है।"
"यार लगता है तुम टी वी नहीं देखते हो।"

मौलिक और अप्रकाशित

Added by विनोद खनगवाल on January 10, 2015 at 6:40pm — 14 Comments

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