२२१ २१२१ १२२१ २१२
आके तेरी निगाह की हद में मिला सुकूँ
हल्क़े को वस्ते बूद की ज़द में मिला सुकूँ //१
थी रायगाँ किसी भी मुदावे की जुस्तजू
दिल के मरज़ को दर्दे अशद में मिला सुकूँ //२
आशिक़ को अपनी जान गवाँ कर भी चैन था
जलकर अदू को पर न हसद में मिला सुकूँ //३
दामे सुख़न की अपनी हिरासत को तोड़कर
लफ़्ज़ों को ख़ामुशी की सनद में मिला सुकूँ…
Added by राज़ नवादवी on January 10, 2019 at 1:04am — 10 Comments
२१२२ ११२२ ११२२ ११२/२२
अस्ल के बाद तो जीना है निशानी के लिए
ज़िंदगी लंबी है दो रोज़ा जवानी के लिए //१
यूँ ज़बां ख़ूब है ये तुर्रा बयानी के लिए
उर्दू मशहूर हुई शीरीं ज़बानी के लिए //२
लोग क्यों दीनी तशद्दुद के लिए मरते हैं
जबकि जीना था उन्हें जज़्बे रुहानी के लिए //३
नफ़्स के झगड़े हैं ने'मत से भरी दुन्या में
चंद रोटी के लिए तो, कभी पानी…
Added by राज़ नवादवी on January 6, 2019 at 1:18pm — 12 Comments
२२१२ १२१२ २२१२ १२
नाकामे इश्क़ होके अपने दर पहुँच गया
सहरा पहुँच के यूँ लगा मैं घर पहुँच गया //१
दिल टूटने की शह्र को ऐसी हुई ख़बर
दरवाज़े पे हमारे शीशागर पहुँच गया //२
उसको भी मेरे होंठ की आदत थी यूँ लगी
साक़ी के हाथ मुझ तलक साग़र पहुँच गया //३
जब भी हुई जिगर को तुझे देखने की चाह
ख़ुद चल के आँख तक तेरा मंज़र पहुँच गया…
Added by राज़ नवादवी on January 1, 2019 at 12:30pm — 13 Comments
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